होशियारपुर 4 मई: योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में सप्ताहिक सत्संग में भक्तों का ऑनलाइन मार्गदर्शन करते हुए आश्रम के संचालक चंद्र मोहन अरोड़ा ने कहा कि गुरु शिष्य की परंपरा इस देश में सनातन काल से चली आ रही है| यह एक पवित्र आत्माओं का संबंध होता है |शिष्य को जीवन का मोक्ष लक्ष्य प्राप्त करने हेतु एक सतगुरु चाहिए | शिष्य अपने पाप कर्मों से भी तभी बच सकता है यदि वह अपने गुरु के बताए शुद्ध मार्ग पर चलता है |
अन्यथा गुरु की शरण में रहकर भी यदि वह पाप कर्म करता है तो गुरु उसे त्याग देते हैं तथा वह नरक में अधोयोनि को प्राप्त होता है| केवल अपने अच्छे कर्म करके शिष्य स्वर्ग को ही जा सकता है| परंतु मोक्ष के लिए तो उसे गुरु की कृपा का पात्र बनना पड़ता है| ईश्वर भी किसी जीव को मोक्ष नहीं दे सकता | ईश्वर तो केवल न्याय कारी है | हमारे बुरे कर्मों के लिए दुख तथा अच्छे कर्मों के लिए सुख प्रदान करता है | परंतु गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर है| गुरु यदि शिष्य से प्रसन्न हो जाए तो वह शिष्य के गुनाहों को भी माफ कर देता हैं | उनके किए को ईश्वर नहीं टाल सकता |गुरु दया की मुर्ति होते हैं| किसी जीव के कल्याण के लिए गुरू का बहुत बड़ा महत्व होता है | परंतु गुरु को कोई कोई ही पहचान सकता है| अर्जुन भी तो भ्रमित रहा |
भगवान कृष्ण को ना पहचान सका जब तक कि भगवान कृष्ण ने उन्हें दिव्य चक्षु नहीं दिए | आज शिष्य माया के प्रलोभन में फँसकर सच्चे गुरु को भी नहीं पहचान सकते और इसलिए उनकी शिक्षाओं पर नहीं चल सकते |वह उनके शरीर के रूप को देख कर कमियां निकालते हैं | शिष्य तीन प्रकार के होते हैं प्रथम वह जो गुरु के इशारे पर कार्य करते हैं |वह गुरु की भावनाओं को जानते हुए मात्र वही कार्य करते हैं जो गुरु की प्रसंता प्रदान करते हैं | यह सर्वोत्तम वर्ग के शिष्य होते हैं |ऐसे शिष्यों का निश्चित ही कल्याण होता है| दूसरे वह शिष्य होते हैं जिन्हें गुरु को बार-बार मार्गदर्शन करते रहना पड़ता है|
यह मध्यम वर्ग के शिष्य होते हैं जो गुरु से ज्यादा प्राप्त नहीं कर पाते |तीसरे वर्ग के शिष्य गुरु से डांट खाकर या तो उन्हें छोड़ देते हैं या फिर उनकी बात ना मानकर उन्हें प्रसन्न नहीं रख पाते | यह अधम वर्ग के शिष्य अधोगति को ही प्राप्त होते हैं| ऐसे शिष्य गुरु मे दोष भी निकालते हैं और उनसे बहस करने से भी नहीं चूकते| हमें उत्तम शिष्य बनने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए| फोटो कैप्शन :ऑनलाइन प्रवचन करते अचार्य चंद्रमोहन अरोड़ा|