सांप्रदायिक विभाजन को तूल देने के भद्दे यत्न आपको उलटे पड़ेंगे-मुख्यमंत्री ने मलेरकोटला संबंधी की टिप्पणियों के लिए भाजपा को लगाई फटकार

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज योगी आदित्यनाथ द्वारा मलेरकोटला के बारे में की गईं भडक़ाऊ टिप्पणियों को तोते की तरह रटने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय और प्रांतीय नेताओं पर तीखा हमला बोलते हुए फटकार लगाई कि शान्ति प्रिय पंजाबियों के दरमियान सांप्रदायिक विभाजन डालने की आपकी भद्दी चालें आपको उलटी पड़ेंगी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि भाजपा नेता पंजाब में सांप्रदायिक विभाजन को तूल देने के यत्न कर रहे हैं जो उनको उलटी पड़ेंगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के हक में बिना सोचे समझे कूद पडऩे के लिए भाजपा नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि योगी जो स्वयं अपने राज्य को तबाह कर देने के लिए तत्पर है, और उसका राज्य पूरी तरह गैर-कानूनी, सांप्रदायिक और जाति विभाजन एवं शासन की नालायकी से जूझ रहा है और यहाँ तक यू.पी. सरकार द्वारा कोविड की स्थिति को भी बेहूदगी से निपटा जा रहा है, जहाँ अपने प्रियजनों की जान बचाने की मदद के लिए दुहाई डालने वालों के खि़लाफ़ केस दर्ज किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘डॉ. बी.आर. अम्बेदकर की अध्यक्षता अधीन संवैधानिक सभा ने हमें धर्म-निरपेक्ष लोकतंत्र प्रदान किया था, जबकि दूसरी ओर जो भी योगी प्राप्त कर रहे हैं, वह मुल्क के धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने को तबाह कर रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने नसलभेदी, सांप्रदायिक नीतियाँ और राजनीति के द्वारा बड़े योजनाबद्ध ढंग से मुल्क के धर्म-निरपेक्ष चरित्र को तबाह करने की कोशिश की। उन्होंने सी.ए.ए. के साथ-साथ हाल ही में किसानों के शांतमयी आंदोलन को सांप्रदायिक रंगत देने की कोशिशों का हवाला दिया, जो अपनी जि़ंदगी और रोज़ी-रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। साल 2002 में गुजरात से 2021 में पश्चिमी बंगाल के समय से लेकर मुल्क भर में सांप्रदायिक नफऱत और हिंसा फैलाने के लिए भाजपा के लहु से लथ-पथ इतिहास का जि़क्र करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यहाँ तक कि साल 1984 के दिल्ली दंगों में भी उन्होंने निजी तौर पर तुगलक रोड पुलिस थाने में 22 भाजपा समर्थकों के खि़लाफ़ शिकायतें देखीं थीं, जिन्होंने हिंसा को बढ़ावा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा नजऱ आता है कि पंजाब में भी राज्य की अमन-शान्ति को भंग करने के लिए बेअदबी के मामले भाजपा की निगरानी में घटे थे, जो उस समय पर शिरोमणि अकाली दल के साथ गठजोड़ के होते हुए सत्ता में था।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ तक योगी के उत्तर प्रदेश का सम्बन्ध है, केंद्रीय गृह मंत्री के दिसंबर, 2018 में लोक सभा में दिए बयान के हवाले से मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक साल 2014 के मुकाबले साल 2017 में मुल्क में सांप्रदायिक हिंसा के मामले 32 प्रतिशत बढ़े थे। रिपोर्टों के मुताबिक भारत में घटी कुल 822 घटनाओं में से उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की 195 घटनाएँ घटी थीं, जिनमें 44 व्यक्ति मारे गए और 542 लोग ज़ख्मी हुए थे। मुख्यमंत्री ने उस समय से स्थिति और भी बदतर हुई है। अपने राज्य के साथ इसकी तुलना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब का इतिहास एकजुटता के साथ रहने वाले समूहों में से एक है। ‘‘महाराजा रणजीत सिंह के समय से या हमारे सतलुज राज्यों में कभी सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ था। दरअसल, महाराजा रणजीत सिंह के बहुत से मंत्री मुसलमान और हिंदु थे। फक़ीर अज़ीज़ुद-दीन और उसके भाई, नूरुद-दीन और इमामूद-दीन रणजीत सिंह के दरबार में मंत्री थे। उनका कमांडर-इन-चीफ़ दीवान मोहकम चंद हिंदु था। उनके तोपखाने में भी मुसलमान थे और कोई भी और भाईचारा उनके तोपखाने का हिस्सा नहीं था।

अपने पिता के समय को याद करते हुए कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि पटियाले के समकालीन प्रधानमंत्री एक मुसलमान नवाब लियाकत हयात खान थे, जबकि राजस्व मंत्री कश्मीरी राजा दयाकिशन कॉल और वित्त मंत्री श्री गौनलेट ब्रिटिश नागरिक थे। सरदार पानीकर (दक्षिणी भारतीय), जो बाद में चीन में भारत के राजदूत बने और श्री रैना, जो नहरू परिवार से सम्बन्धित थे, भी मंत्री थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उस समय सामथ्र्य पर ज़ोर था ना कि धर्म पर और इसी तरह अब तक है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने और उनकी सरकार के धर्म निरपेक्ष अक्स को भाजपा की प्रामाणिकता की ज़रूरत नहीं थी। यह कहते हुए कि योगी के मूर्खता भरे बयान का समर्थन करने से पहले मेरे भाजपा साथियों को पंजाब का इतिहास पढ़ लेना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको यह नहीं भूलना चाहिए कि 1965 की लड़ाई में यह सी.क्यू.एम.एच. अब्दुल हामिद थे, जिसने असल उत्तर में अपनी जान का बलिदान दिया, जिसके लिए उसको ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मलेरकोटला के मामले में यह स्पष्ट है कि भाजपा के नेता यह नहीं जानते कि यह मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान थे, जिन्होंने खड़े होकर सरहिन्द के समकालीन शासक का विरोध किया था, जो श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबज़ादे को जीवित दीवारों में चिनवा रहा था। मलेरकोटला को जि़ला घोषित किए जाने की आलोचना में बयान जारी कर रहे बी.जी.पी. नेताओं पर बरसते हुए जिसको उन्होंने लम्बे समय से चली आ रही माँग बताया, कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि ‘‘यदि आप में से कोई भी पंजाब के महान इतिहास को जानना चाहता है तो कृपा करके मुझे बताओ। मैं आपको इस विषय पर कुछ किताबें भेजूंगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं 2002-2007 में मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पिछले कार्यकाल के दौरान यह मेरी वचनबद्धता थी और भाजपा के उलट, मैं अपने लोगों के साथ किए अपने वादे पूरे करने में विश्वास रखता हूँ।’’

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