भारत ज्ञान-विज्ञान समिति ने पुस्तक ’’जुगनू तथा फुलझडिय़ां’’ का किया लोकार्पण

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भारत ज्ञान-विज्ञान समीति के होशियारपुर युनिट द्वारा कार्पोरेट घराने के दफ्तर के सामने चल रहे दिन रात धरने पर प्रगतिशील साहित्यकार तथा साहित्य प्रेमियों की ओर से एक साहित्यक तथा पुस्तक ’’जुगनू तथा फुलझडिय़ां’’ का लोक अर्पण प्रोग्राम किया गया। जिसमें कामरेड गुरमेश, जोगा सिंह बूला, सुरिन्द्र कंगवी, हरविन्द्र साबी, कामरेड कंवलजीत सिंह तथा नाटककार अशोक पूरी विशेष तौर पर हाजिऱ हुये। प्रोग्राम के शुरू में कामरेड गुरमेश ने इप्टा के स्थापना दिवस तथा साहित्यकारों की ओर से धरने पर बैठक किसानों तथा मज़दूरों को कला तथा साहित्य की महत्ता के बारे में बताया। ’’जुगनू तथा फुलझडिय़ां’’ पुस्तक को लोक अर्पण करने से पहले जोगा सिंह बूला ने आज के राजनीतिक तथा समाजिक व्यवहार पर व्यंग्यात्मक वार्तालाप किया। उपस्थित समूह श्रोताओं ने जोगा सिंह बूला की बातों तथा मार्गदर्शन को बड़े ध्यान से ग्रहण किया। इस के पश्चात सुरिन्द्र कंगवी ने ’’मिट्टी के जाये’’ रचना के साथ अपनी हाजऱी लगवाई। उनकी रचना के पश्चात हरविन्द्र साबी ने बताया कि राजनीतिक नेताओं द्वारा मानवीय व्यवहार को श्रति पहुंचाने से साहित्यकार के मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

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उन्होंने बताया कि मानव उन्नति करके चन्द्रमा तक तो पहुंच गया है पर उसको अभी भी धरती पर जीना नही आया। उन्होंने अपनी कहानी ’’लामबंद’’ के साथ हाजऱी लगवाई। इस अवसर पर नाटककार अशोकपूरी ने गुजराती कवियत्री ’पारूल पक्खर’ की कविता जिसका अशोक पूरी द्वारा किया पंजाबी अनुवाद ’’लाशा ढोंहदी गंगा’ का उच्चारण किया। इस उपरान्त कामरेड गुरमेश ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा चलाये जा रहे किसान संघर्ष को कुल 6 महीने हो रहे हैं जिसके लिए समूह पंजाबी तथा संघर्ष करते भारतीय बधाई के पात्र हैं। कल को ’’काला दिन’’ मनाने के अवसर पर समूह भारतवासियों को आगे आना चाहिए। इसके साथ ही मास्टर जोगिन्द्र सिंह बूला की पुस्तक ’’जुगनू तथा फुलझडिय़ां’’ जो कि न्यारी बाते तथा प्यारी बाते हैं। टेढ़ी खीर, पजामा तथा शुक्र करो, रचनाओं से भरपूर गुलदस्ता का लोक अर्पण किया गया। इस प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए कामरेड गुरमीत, कामरेड कंवलजीत सिंह, रमुश कुमार तथा राम लुभाया शेरगढ़ का विशेष योगदान रहा। इस उपरान्त जोगा सिंह भ_ूला, हरविन्द्र साबी तथा सुरिन्द्र कंगवी को ज्ञान विज्ञान समीति द्वारा चलाई गई नई परम्परा कनक के मटके के साथ सम्मानित किया गया।

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