योग साधन आश्रम के सप्ताहिक सत्संग के दौरान आचार्य चंद्र मोहन अरोड़ा ने भक्तों का ऑनलाइन किया मार्गदर्शन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम होशियापुर के सप्ताहिक सत्संग के दौरान भक्तों का ऑनलाइन मार्गदर्शन करते हुए आचार्य चंद्र मोहन अरोड़ा ने कहा कि संसार का जब संतुलन बिगड़ जाता है तो उस संतुलन को पुन: स्थापित करने के लिए भगवान को स्वयं आना पड़ता है। दूसरा जब संसार में अत्याधिक संकट आ जाता है और जीव त्राहि-त्राहि करने लग जाते हैं तब भी भगवान को उनकी रक्षा के लिए संसार में अवतार लेना पड़ता है। सतयुग में ईश्वर को असुरों का संहार करने के लिए प्रकट होना पड़ा। त्रेता युग मे धनुष बाण उठाकर रामचंद्र के अवतार में आए। द्वापर युग में सुदर्शन लेकर कृष्ण के रूप में आए। इन युगों में या तो धर्म की हानि हो रही थी या फिर जीवो पर संकट अधिक थे, परंतु आज कलयुग में तो यह दोनों ही कारण है। धर्म भी धरातल में जा रहा है और संसार में त्राहि-त्राहि मची हुई है।

Advertisements

प्रभु के रचे संसार का चहुमुखी विनाश हो गया है। इस बिगड़ी व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने हेतु तथा इसमें सुधार करने हेतु योगेश्वर प्रभु रामलाल का अवतार हुआ। जो योग शास्त्र एवं अनंत कला लेकर आए हैं। आज लोग एक दूसरे को ही हानि पहुंचाने के इलावा अपने आप की भी परवाह नहीं करते, ना अपने शरीर की ना मन की और ना ही बुद्धि की। इसलिए संकटों का पहाड़ टूट पड़ा है। यदि वह अपना भी ध्यान रख लेते तो प्रत्येक जीव 100 वर्ष आयु तक निरोग रह सकता था, ऐसे समय में समाज को शिक्षा देने हेतु प्रभु योग का अमृत लेकर आए हैं शरीर, मन व बुद्धि के बिगडऩे का कारण इनकी अशुद्धि है। यदि शरीर का ध्यान रखें तो न गलत आहार करेंगे ना ज्यादा और न ही असमय आहार करेंगे। शरीर मे मल भरा पड़ा है। इसलिए जन जन रोगी है। यदि योग द्वारा शरीर की शुद्धि कर लें तो शरीर 100 साल तक साथ देगा।

गले से ऊपर के हिस्से को नेती क्रिया से शुद्ध रख सकते हैं। पेट को धोती, बमन से शुद्ध कर सकते हैं तथा आंतों को शंख प्रक्षालन द्वारा शुद्ध किया जा सकता है, यदि हम योग के इन साधनों से शरीर के इन तीन अंगों से मल को निकाल दें तो संसार से समस्त बीमारियों को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब मन मेला होता है तो जीवो के अंदर नफरत ,दुश्मनी द्वेष तथा एक दूसरे का सर्वनाश करने का जज्बा उठता है। मन को शुद्ध कर ले तो संसार में शांति हो जाएगी। इसके लिए प्रभु जी ने योग में चार साधन दिए हैं मैत्री, करुणा,मुदिता तथा उपेक्षा। इनसे मन साफ हो जाएंगे और संसार में शांति व प्रेम का वातावरण बन जाएगा। यम व नियम का पालन करने से संसार में धर्म का वातावरण स्थापित हो जाएगा। शुद्ध मन को कोई विचलित नहीं कर सकता। इसीलिए महापुरुष सदा शांत रहते हैं। तीसरी चीज बुद्धि है। इसे शुद्ध भी रखना होता है और संभालना भी पड़ता है। बुद्धि को शुद्ध करने के लिए ऋषि कृत ग्रंथों का स्वाध्याय करना चाहिए और इसे संभालने के लिए गुरु की शरण में जाना चाहिए। गुरु हमारी बुद्धि को बिगडऩे नहीं देते। जब शरीर बीमार नहीं होंगे , मन में गलत विचार नहीं आएंगे, बुद्धि नियंत्रण में होंगी तो संसार की बिगड़ी व्यवस्था और संसार से दुश्मनी, डर तथा त्राहिमाम का माहौल हट जाएगा तथा फिर से धर्म की स्थापना हो जाएगी। इसलिए कहते हैं कि विश्व शांति का एकमात्र साधन योग है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here