एस.सी. पोस्ट मैट्रिक वज़ीफ़ा स्कीम के अंतर्गत निजी संस्थानों के 40 प्रतिशत बकाए की अदायगी पंजाब सरकार करेगी

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब सरकार द्वारा एस.सी. विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक वज़ीफ़ा स्कीम के वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक के समय के लिए निजी शिक्षण संस्थानों के 200 करोड़ रुपए के बकाए का 40 प्रतिशत हिस्सा अदा किया जायेगा। यह फ़ैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में राज्य के मंत्रीमंडल की हुई वर्चुअल मीटिंग में लिया गया।मीटिंग में यह भी फ़ैसला किया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा बाकी के 60 प्रतिशत बकाए का मुद्दा प्रधानमंत्री के पास उठाया जायेगा। मंत्रीमंडल द्वारा मंत्री समूह, जिसकी स्थापना उपरोक्त समय के लिए एस.सी. वर्ग के लिए पोस्ट मैट्रिक वज़ीफ़ा स्कीम को सुचारू ढंग से चलाने में पेश आ रही कठिनाईयों पर विचार करने के लिए की गई थी, द्वारा जमा की गई रिपोर्ट को मंज़ूरी देने के अलावा यह फ़ैसला भी किया गया कि सरकार द्वारा ये बकाए निजी संस्थानों को साल 2021-22 के लिए तीन एक समान तिमाही किश्तों में अदा किये जाएंगे। 

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मंत्री समूह में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा और तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी शामिल थे और यह समूह 14 जनवरी, 2021 को कायम किया गया था। एस.सी. विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक वज़ीफ़ा स्कीम केंद्रीय सहायता के द्वारा लागू की जा रही है परन्तु वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 तक कोई भी फंड जारी नहीं किये गए। एस.सी. विद्यार्थियों को पेश आ रही मुश्किलों को देखते हुए और उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मंत्रियों के समूह की स्थापना की गई थी। 

मंत्री समूह ने यह भी सिफारिश की कि निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा एस.सी. विद्यार्थियों के रोल नंबर, सर्टिफिकेट और डिग्रीयाँ नहीं रोकी जाएंगी और इसके अलावा 2017-18 से लेकर 2019-20 के सैशन के लिए फीस की वसूली हेतु पंजाब सरकार के खि़लाफ़ अदालत का दरवाज़ा नहीं खटखटाया जायेगा और न ही कोई दावा किया जायेगा। मंत्री समूह ने यह भी सुझाव दिया कि इसके अलावा इन संस्थानों द्वारा इस मामले सम्बन्धी अदालत में दायर केस वापस लिए जाएंगे। इसके अलावा अपनी रिपोर्ट में मंत्री समूह ने यह भी कहा है कि यदि भारत सरकार द्वारा 60 प्रतिशत हिस्से की अदायगी नहीं की जाती तो शिक्षण संस्थाएं पंजाब सरकार से फीस के लिए दावा नहीं कर सकेंगी। 

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