मुख्यमंत्री ने वन और वन्य जीव विभाग को मूल वनस्पती और जीव जंतुओं को पुन: सुरजीत करने के लिए कहा

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। वातावरण संतुलन पैदा करने की दिशा में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को वन और वन्य जीव सुरक्षा विभाग को राज्य के प्राकृतिक मौसम और वास्तविक निवास को ध्यान में रखते हुये मूल वनस्पती और जीव जंतुओं को पुन: सुरजीत करने के लिए कहा है। वीडियो कान्फ्रेंस के द्वारा वन और वन्य जीव सुरक्षा विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्राकृतिक प्रेमी होने के नाते वन और वन्य जीव में हमेशा रूचि रखते हैं। उन्होंने रिवायती वृक्षों जैसे कि बेर, कीकर, शाल, टाहली आदि के पौधे बड़े स्तर पर लगाने पर जोर दिया। इसके अलावा आम की देसी (स्थानीय) किस्म कत्था आम जो कि तटीय क्षेत्र और दक्षिणी पंजाब में पाया जाता था और समय बीतने से पैदावार घटती गई, को भी लगाने पर जोर दिया। इस आम के पौधे जंगली जानवारों और पुराने पक्षियों के लिए प्राकृतिक रिहायश भी पैदा करेंगे जो समय के साथ लुप्त हो गए। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चंदन और उच्च किस्म के बाँस (बैंबूसा बैलकूआ) जो रिवायती बाँसों की अपेक्षा दोगुना उपज देते हैं, के पौधे लगाने के लिए विभाग की सराहना की। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव वन को और देसी किस्म के पौधेे लगाने और किसानों को पॉपुलर की खेती करने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा। पॉपुलर न सिर्फ कम पानी मांगता है बल्कि इसकी लकड़ी की उद्योग में भी बहुत माँग है। मुख्यमंत्री ने इकौ -टूरजिम़ की संभावना की पूरी तरह तलाशने के लिए कहते कहा कि सिसवां और हरीके को उत्तरी भारत में इसके प्राथमिक स्थानों के तौर पर विकसित करने के लिए ठोस यत्न करने चाहिएं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि सैलानियों को आकर्षित करने के लिए बोटींग, नेचर ट्रेल, बोर्ड वाक, बर्ड वाच टावर जैसी सहूलतें स्थापित करने के लिए कहा। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि जंगलात की गतिविधियों जैसे कि रेशम उत्पादन, मधुमक्खी पालन को उत्साहित करने के लिए बहु विभागीय तालमेल रणनीति की जरूरत पर जोर दिया।

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इसी तरह मुख्यमंत्री ने राज्य के दरियाओं खास कर ब्यास और सतुलज में मग्गरमच्छ के प्रजनन करने की जरूरत पर जोर दिया जिनकी करीब छह दशक पहले बहुत भरमार थी। उन्होंने घडिय़ाल फिर लाने के लिए विभाग की कोशिशों की सराहना की जो कि दरियाई वातावरण के लिए बहुत सहायक है और पंजाब के दरियाओं में मौजूद है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सिंह डौलफिन की संभाल के लिए वन जीव विभाग के प्रयासों की सराहना की जिसको 2019 में राज्य का दरियाई जीव ऐलान दिया था।

तटीय क्षेत्र और दक्षिणी पंजाब की नरमा पट्टी में जंगली सूअर, नील गाय और रोज़ की बढ़ती आबादी का गंभीर नोटिस लेते हुये मुख्यमंत्री ने इन जानवारों के साथ जाने वाली कीमती जानें बचाने के लिए वन जीव विभाग को तुरंत प्रभावशाली उपाय करने के लिए कहा। इसके इलावा यह जानवर फसलों का भी भारी नुकसान करते हैं। राज्य भर में आवारा पशुओं के खतरे पर गहरी चिंता जाहिर करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अब लोगों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है, जिससे सडक़ हादसे होने के कारण अक्सर जानी नुकसान होता है। इस समस्या को पहल के आधार पर हल करने के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने वन जीव विभाग को पशु पालन विभाग के साथ मिल कर आवारा पशुओं को उन बीड़ों, जो वन्य जीव अभ्यारण्य नहीं हैं, में तबदील और पुनर्वास करन के लिए रूप-रेखा बनाने के लिए कहा है।

इस दौरान जंगल लगाने के मुआवजे के तौर पर अपेक्षित व्यापक नीति को मंजूरी देने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुये वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि यह अतिरिक्त जमीन के महत्वपूर्ण हिस्सों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा जिसका प्रयोग उपभोक्ता एजेंसी कर सकती है। इसके इलावा इस नीति से वन अधीन क्षेत्र में भी विस्तार होगा। विभाग के कामकाज संबंधी एक संक्षिप्त पेशकारी देते हुये अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री को बताया कि विभाग ने स्थायी विकास लक्ष्यों (एस.डी.जीज़) के मुताबिक 2023 तक वन और वृक्षों के अधीन 7.5 प्रतिशत क्षेत्रफल लाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पहल के आधार पर विकसित किये जाने वाले 100 जलगाहों (वैटलैंड) की पहचान कर ली है और इनमें देश भर में से पंजाब की पाँच जलगाहों हरीके, रोपड़, कांझली, केशोपुर और नंगल को शामिल किया है।

उन्होंने कहा कि मोगा जिले को पाँच सालों में देश के 01 अरब पौधे लगाने के प्रोजैक्ट के हिस्से के तौर पर चुना है और अगले पाँच सालों के दौरान मोगा में 90 लाख पौधे लगाए जाएंगे। पनकैंपा का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि राज मार्गों पर हरियाली बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है जिसके अंतर्गत अब तक लंबाई वाले 1 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं और 2021-22 में 3.15 लाख पौधे लगाने का प्रस्ताव है। इसी तरह पटियाले जिले में बीड़ मोतीबाग और अन्य बीड़ों के सुधार के लिए 2.98 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके इलावा कैंपा के अधीन 2021-22 के लिए सिसवां कम्युनिटी रिज़र्व के विकास के लिए 1.68 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। मीटिंग में दूसरों के अलावा मुख्य सचिव विनी महाजन, प्रमुख मुख्य वनपाल वन विद्या भूषण कुमार, मुख्य वन्य जीव वार्डन आर.के. मिश्रा भी मौजूद थे।

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