गढ़शंकर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के बीत व कंडी इलाके में लाखों एकड़ जमीन में किसानों द्वारा कद्दू व खीरा की वुआई की हुई है, लेकिन कद्दू व खीरा कोडिय़ों के दाम विकने से बीत व कंडी के किसान परेशान है। लिहाजा पहले से कर्ज में डूबे किसानों की हालत और भी बदतर हो रही है। यह शब्द आल इंडिया जाट महासभा, पंजाब के महासचिव इंचार्ज अजायब सिंह बोपाराय ने कही। उन्होंने कहा कि कभी जंगली जानवर तो कभी बारिश न होने से फसले तवाह होती रही है और किसान लगातार कर्ज के मकडज़ाल में फंसते जा रहे है। लेकिन किसी भी सरकार ने आर्थिक मंदहाली का शिकार हो रहे किसानों को बनता मुआवजा आज तक नहीं दिया। सिर्फ सरकारें बदलने पर ब्यान देने वाले नेता बदल जाते है। उन्होंने सरकार से कंडी व बीत में शीध्रता सर्वे करवा कर कद्दू का प्रति एकड़ मुआवजा पचास हजार और खीरे का एक लाख रूपए मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कद्दू की प्रति एकड़ खर्च करीब पचीस से तीस हजार और खीरे का खर्च साठ से सत्तर हजार आता है। अगर किसान की जमीन अपनी है। अगर ठेके पर जमीन ले रखी है तो 20 हजार से 25 हजार ठेका अलग से देना पड़ता है।
इसके ईलावा पूरा परिवार तीन महीने लगातार खेतों में मजदूरी करता है उसकी कीमत किसान को कभी मिलती ही नहीं है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ में साठ से 70 क्विटल कद्दू होता है तो अब किसान का कद्दू एक से दो रूपए प्रति किलो बिक रहा है। लिहाजा किसान का कद्दू प्रति एकड़ सात से चौदह हजार का विकेगा। इसी तरह खीरा प्रति एकड़ 100 किवंटल होता है। खीरा इस समय चार से पांच रूपए विक रहा है। इस तरह खीरा 40 से 50 हजार का खीरा होगा। जिससे किसान को वचत तो दूर की बात लगाए पैसे भी पूरे नहीं होगे। कंडी व बीत के किसान के कद्दू व खीरे की फसल के नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए अन्यथा पहले से कर्ज में डूबे किसान की आर्थिक हालत और भी बदतर हो जाएगी।