बहुरंग कला मंच ने हिन्दी साहित्य मंथन तथा काव्य गोष्ठी का आयोजन करके मनाया ’’हिन्दी दिवस’’

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। यहां बह-ुरंग कला मंच ने नेहरु युवा केन्द्र होशियारपुर के दिशा निर्देशानुसार ’’हिन्दी दिवस’’ स्थानीय होटल शिराज रिजेंसी में हिन्दी साहित्य मंथन तथा काव्य गोष्ठी का आयोजन करके मनाया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. धर्मपाल साहिल, प्रो. भारत भूषण भारती, रमेश सिद्धू संपादक, द्वारका भारती , जसवीर धीमान ने संयुक्त रुप से की। इस कार्यक्रम का संचालन नेहरु युवा केन्द्र के लेखाकार विजय राणा तथा रंगकर्मी अशोक पुरी ने किया। हिन्दी साहित्य मंथन की शुरुआत करते हुए प्रो. भारत भूषण भारती ने कहा कि सभी भाषाऐं मनुष्य के मन मंथन का प्रगटाव करती हैं, इस लिए राजनेताओं तथा कट्टरपंथियों को अपने निजी हितों के लिए भाषा का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जिससे मानवीय मुल्यों का हनन होता है। इसके पश्चात द्वारका भारती तथा रमेश सिद्धू ने बताया कि वे 1987 से बुध पत्रिका हिन्दी मासिक प्रकाशित कर रहे हैं तथा उन्होने अपने अनुभव से महसूस किया है कि हिन्दी एक सम्पूर्ण भाषा है जिसका समूचे भारत में पाठक वर्ग है।

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आज कल कुछ पढ़े लिखे लोग इंग्लिश को  हिन्दी के मुकाबले ज्यादा प्राथमिक्ता देते हैं जबकि सच्चाई यह है कि इंग्लिश के मुकाबले हिन्दी में हम अपने मन की बात अच्छी तरह रख सकते हैं तथा ज्यादा से ज्यादा लोग उसे समझ सकते हैं। इसके पश्चात डॉ. धर्म पाल साहिल ने बताया कि सप्त सिंधू में भारत के महान ग्रंथ महाभारत तथा गीता की ऋषियों ने रचना की । संस्कृत भाषा का हिन्दी तथा पंजाबी भाषा ने सम्पूर्ण अनुकरण किया है। उन्होने बताया महात्मा गांधी 1947 के बाद ही हिन्दी को राष्ट्रीय सम्पर्क भाषा मानते थे जिसको 1949 को संविधान के अनुछेद 343(1) के अनुसार राज भाषा का दर्जा दे दिया गया। आज विश्व में लगभग 70 करोड़ लोग हिंदी भाषा बोलते तथा समझते हैं।  इस अवसर पर जसवीर धीमान, द्वारका भारती, भारत भूषण भारती ने अपनी नई हिंदी की कविताएं श्रोताओं के समक्ष रखीं। 

कार्यक्रम के अंत में कृष्णा विद्या अकादमी तथा बहु-रंग कला मंच होशियारपुर की ओर से अशोक पुरी ने अपने विचार प्रगट करते हुए कहा कि हिंदी विश्व में तीसरे नम्बर पर बोले जाने बाली विकसित भाषा है। आज भारत के नवयुवाओं को विदेशी भाषा के पीछे लगने की बजाए अपनी राष्ट्रीय भाषा पर गर्व करना चाहिए क्योंकि हिंदी में हमारा पुरातन संास्कृतिक तथा धार्मिक साहित्य उपलब्ध है। इस अवसर पर हिंदी दिवस को समर्पित करते रमेश सिद्धू ने आत्म कथा ’’जि़ंदगी कदम कदम’’ भारत भूषण भारती तथा डॉ. धर्म पाल साहिल को अर्पित की। 

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