डेंगू पीडि़त मरीज के लिए भगवान का रुप हैं रक्त एवं प्लेटलेट दानी: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। डेंगू के प्रकोप में मरीजों एवं उनके परिजनों के लिए आशा की किरण एवं मानवता के सच्चे सेवक के रुप में रक्तदानी एवं प्लेटलेट्स दानियों का ऋण हम कभी नहीं चुका सकते। क्योंकि डेंगू से पीडि़त मरीजों के लिए रक्तदानी भगवान का रुप बनकर पहुंच रहे हैं, ताकि जरुरतमंद मरीज की जान बचाई जा सके। ऐसे दानियों का हमें सदैव सम्मान करना चाहिए। यह विचार भारत विकास परिषद के अध्यक्ष प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने जालंधर में जरुरत पडऩे पर गोरायां एवं करतारपुर से पहुंचे प्लेटलेट्स दानियों का आभार व्यक्त करते हुए व्यक्त किए।

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अरोड़ा ने बताया कि उनके एक करीबी को डेंगू ने अपनी चपेट में ले लिया था। जिसे जालंधर के एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। प्लेटलेट की काफी कमी के चलते डाक्टर ने तुरंत प्लेटलेट का इंतज़ाम करने की बात कही। पराये शहर में बिना जान पहचान के प्लेटलेट का इंतज़ाम करना रेगिस्तान में पानी ढूंढने जैसा था। ऐसे में उन्हें रक्तदानी संस्था गोरायां ब्लड सेवा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीश कुमार व वासुदेव शर्मा तथा करतारपुर से पंकज आनंद की जानकारी मिली एवं उन्होंने उनके साथ संपर्क साधा। रात्रि करीब 12 बजे का समय था और उक्त रक्तदानियों ने बिना देर किए अस्पताल पहुंचने का ढांढस बंधाया। गौरतलब है कि मनीश कुमार मनाली गए हुए थे और फोन कॉल अटेंड करने से कुछ समय पहले ही वहां से लौटे थे। थके होने के बावजूद उन्होंने रक्तदान/प्लेटलेट दान करने से इंकार नहीं किया और एक फरिश्ते का रुप धारण कर थेड़ी देर में ही अस्पताल पहुंच गए।

अरोड़ा ने बताया कि मनीश कुमार 40 बार प्लेटलेट दान कर चुके हैं और 17 बार रक्तदान करके मानवता की सच्ची सेवा कर चुके हैं। इसी प्रकार वासुदेव ने 24 बार प्लेटलेट एवं 18 बार रक्तदान करके इस क्रम को जारी रखे हुए हैं तथा करतारपुर के पंकज आनंद भी रेगुलर ब्लड डोनर हैं और एक कॉल पर मदद के लिए पहुंचते हैं या रक्तदानी का प्रबंध करके सेवा करने को तत्पर रहते हैं। अरोड़ा ने बताया कि जिस प्रकार भूखे को अन्न और प्यासे को पानी की शिक्षा हमारे शास्त्रों से मिलती है उसी प्रकार रक्तदान जिसे महादान कहा गया है के लिए भी प्रत्येक सेहतमंद व्यक्ति को सदैव तैयार रहना चाहिए। इस मौके पर भाजपा नेता कृष्ण अरोड़ा ने भी रक्तदानियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि वे उनका ऋण कभी नहीं चुका सकते। उन्होंने रक्तदानियों को भविष्य में भी इसी प्रकार सेवा कार्य जारी रखने की प्रेरणा दी।

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