हम भारतीय हैं और राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति वाले नहीं चाहते शांति और व्यापार

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-द स्टैलर न्यूज़ के संवाददाता समीर सैनी और यामिनी सैनी के विशेष रिपोर्ट-

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भारत सम्पूर्ण विश्व का सबसे अनोखा देश है। जहाँ हर तरह की विभिन्नताओं के चलते लोग विश्व को एकता का पाठ सिखाते हैं। भारत पर सैकड़ों वर्षों तक मुसलमान शासकों का कब्जा रहा, फिर तकरीबन 200 वर्ष तक अंग्रेजों का शासन रहा। 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद तो हुआ परंतु विभाजन के साथ ऐसा विभाजन मिला जिसे भारत में एक साथ प्रेमभाव से रहते हुए न हिन्दु चाहते थे न ही मुसलमान। यह विभाजन मात्र भौगोलिक न रहकर राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, समाजिक एवं मानसिक समस्त रूपों से हुआ। आज इस विभाजन को 70 वर्ष हो चुके हैं। भारत व पाकिस्तान दोनों देशों के पास हर समस्या का समाधान है परंतु कश्मीर समस्या आज भी ज्यों की त्यों है। पाकिस्तान और भारत के बीच कश्मीर को लेकर चल रही खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रही है तथा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी भारतीय इसे लेकर पूरी तरह से अपनेपन का एहसास नहीं कर सके। हम रोज समाचार पत्रों एवं टी.वी पर कश्मीर में अशांत हालातों का विश्लेषण देखते हैं। आंतकी हमले, पत्थराव, दंगों से भी ज्यादा भयंकर स्थिति से अवगत होकर भारत के अन्य राज्यों के लोग भयभीत होते है कि ऐसे राज्य में जाना, व्यापार करना अत: धार्मिक यात्रा आदि जिंदगी को मौत के मूंह में ले जाने के समान तो नहीं।

-कुछ हिस्से में फैली अशांति की खबरों से कश्मीर का हर कोना हो चुका है प्रभावित, लोगों के समक्ष भूखों मरने की आ चुकी है नौबत-

अप्रत्याशिय सुधारों के चलते शुरू की गई बस सेवा भी जम्मू कश्मीर के हालातों को सुधार न ला सकी। आए दिन राजनीतिक उथल-पुथल ने कश्मीर के गर्म हालातों पर आग में ही डालने का कार्य किया। इसी बीच द स्टैलर न्यूज़ संवादाताओं की एक टीम कश्मीर के मौजूदा हालातों का जायजा लेने के लिए कश्मीर पहुंची।

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वर्तमान स्थिति दिखाई जाने वाली सचाई व समाचार पत्रों की सुर्खियों से कहीं अलग थी। कश्मीरियों की सभी धर्मों में आस्था तथा वहां एक शिव मंदिर (महारानी शिव मंदिर गुलमर्ग) में मुस्लिम भाईयों का जमावड़ा भाईचारे की अनौखी एवं अनूठी मिसाल पेश कर रहा था। लाल चौक पर खरीददारों की चहल-पहल एवं घूमने आए पर्यटकों की खुशी कश्मीर के शांत पर्यावरण को दर्शा रही थी। हमारे संवादाता इसी स्थिति को देखकर हैरत में थे कि जहां कई बड़े शहरों में देर शाम घर से निकलना खतरे से खाली नहीं वहीं कश्मीर जैसे शहर में पर्यटक सडक़ों व बाजारों में आधी रात तक मौसम व कश्मीर की खूबसूरती का आनंद लेते हुए धरती के स्वर्ग का सुख भोग रहे थे।

स्थानीय लोगों के बीच घुले मिले पर्यटकों को देख ये अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था कि कौन कश्मीरी है और कौन दूसरे राज्य से आया है। अनेकता में एकता की तस्वीर देख हमारे संवाददाता को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो आंखों देखी पर भरोसा करे या फिर कश्मीर को अशांत राज्य घोषित करने वाली खबरों पर। टी.वी. चैनलों और समाचारपत्रों की सुर्खियों में रहने वाली कश्मीर की अशांति के बारे में जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो बात करने वाले लगभग हर कश्मीरी की आंख नम हो जाती व उनके मुख से एक ही बात निकलती कि साहिब वह राजनीति है और अपने राजनीकित स्वार्थों के लिए कश्मीर की शांति और भाईचारे को भेंट चढ़ाया जा रहा है। कश्मीर के छोटे से हिस्से में होने वाली अशांति को इस प्रकार दिखाया जाता है कि पूरा कश्मीर ही इसकी चपेट में आकर समस्या से घिर चुका है। आज हालात ये हैं कि अशांति एवं आतंकवाद का दंश हरेक कश्मीरी को झेलना पड़ रहा है तथा उन्हें दुख है कि ऐसे खबरों से करीब 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र के लोगों के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ चुकी है।

कश्मीर धरती का स्वर्ग है, जन्नत है और इस स्वर्ग को न जाने किस की नजऱ लग गई कि आज लोग यहां आने से डरने लगे हैं, जबकि हम सभी देशवासियों व विश्व भर से यहां आने वालों का स्वागत बाहें फैलाए व पलकें बिछाए करते हैं। हम भारतीय हैं और रहेंगे, मगर दुख की बात है कि हमारी धरती को अशांत दिखाकर यहां के हालातों को प्रभावित किया जा रहा है। हालांकि लोगों ने कैमरे के आगे खुलकर बोलने से मना कर दिया, जो वहां के अलगाववादियों एवं अशांति प्रिय लोगों का उनके मन में डर को साफ दर्शा रहा था। परन्तु दबी जुबान में जो लोगों ने बताया कि उससे एक बात तो साफ है कि वे शांति के पुजारी हैं और कश्मीर में शांति की कामना के साथ अपने हर दिन की शुरुआत करते हैं।
कश्मीर जैसे शांत जन्नत दिखने वाली जगह पर पर्यटन व्यवस्था दिखाई जाने वाली गलत खबरों व अशांत छवि की वजह से प्रभावित है। हमारे संवादाता कश्मीर के शांत व खुशनुमा माहौल से हैरत में तो थे, लेकिन वह उनके लिए एक अनोखा व यादगर अनुभव रहा।

भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार का भी ये फर्ज बनता है कि वो वहां के लोगों के दिल की आवाज़ सुने और कश्मीर जैसे शांत राज्य की तस्वीर को गल्त ढंग से पेश करने वालों तथा अशांति फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि कश्मीर भी भारतीय होने पर गर्व कर सकें तथा देश के हर राज्य से लोग कश्मीर की खूबसूरती का आनंद उठाने के लिए वहां पूरा साल जा सकें।

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