किसानों को ख़ुशहाल करने के लिए फ़सली विभिन्नता अति ज़रूरी और अहम: अनिरुद्ध तिवारी

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। फ़सली विभिन्नता आज के समय में ग्रामीण ख़ुशहाली विशेष तौर पर किसानों की ख़ुशहाली को यकीनी बना सकती है और पंजाब जैसे सभी खेती प्रधान राज्यों के लिए लाभदायक साबित सकती है। यह प्रगटावा पंजाब के मुख्य सचिव, अनिरुद्ध तिवारी ने गुरूवार को इंडियन स्कूल आफ बिजनेस, मोहाली में ‘‘फ़सली विभिन्नता ’’ विषय पर राष्ट्रीय थिमेटिक वर्कशाप की अध्यक्षता करते हुये किया। यह समागम भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के नेतृत्व में कृषि और किसान कल्याण विभाग पंजाब की तरफ से करवाया गया। उद्घाटनी सैशन के दौरान संबोधन करते हुये मुख्य सचिव ने न केवल पंजाब के लिए बल्कि पूरे देश के लिए फ़सली विभिन्नता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और फ़सली विभिन्नता योजना के लिए नीति बनाने में भाईवालों की भूमिका को प्रमुख एजंडे पर रखा। उन्होंने ज़ोर देते हुये कहा, ‘फ़सली विभिन्नता का मुख्य उद्देश्य खेती को और ज्यादा लाभदायक पेशा बनाना और किसानों की ख़ुशहाली को बढ़ावा देना है।’’

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उन्होंने आगे कहा कि इस समय फ़सली विभिन्नता को असली अर्थ में अमल में लाने के लिए उतने ही यत्न ज़रुरी हैं जितने हरित क्रांति के समय किये गए थे। तिवारी ने सभी भाईवालों को फ़सली विभिन्नता लाने सम्बन्धित क्यों, क्या और कैसे के बारे एक खुला/स्पष्ट सवाल किया और ज़ोर दिया कि सैशनों में इन सवालों को हल करने की कोशिश करनी चाहिए। समागम में हिस्सा लेने वालों का स्वागत करते हुये कृषि विभाग के वित्त कमिशनर, डी.के. तिवारी ने कुदरती स्रोतों पर निर्भरता के कारण खेती की अनिश्चितता के सम्बन्ध में अपने विचार पेश किये। हर साल होने वाले भोजन पदार्थों की बर्बादी का हवाला देते हुए उन्होंने कुदरती स्रोतों की संभाल के साथ टिकाऊ, व्यावहारिक खेती के क्षेत्र में तरक्की के लिए ठोस प्रयास करने पर ज़ोर दिया। भारत सरकार के संयुक्त सचिव रितेश चौहान ने राष्ट्रीय स्तर की नीति बनाने में राज्यों को शामिल करने सम्बन्धी संकेत दिया कि सभी भाईवालों को बोटम अप पहुँच अपना कर एक मंच में भाग लेना चाहिए। उन्होंने फ़सली विभिन्नता योजना बनाने में राज्यों की ज़ोरदार भागीदारी का भी न्योता दिया।

नीति आयोग की सीनियर सलाहकार (कृषि) डा. नीलम पटेल ने अलग-अलग क्षेत्रों में भारत सरकार द्वारा पहचाने गए छह विषयों सम्बन्धी जानकारी दी। जिनमें तेल बीज और दालें, जल सुरक्षा, सेहत, शहरी शासन, निर्यात शामिल हैं, को उत्साहित करने से फ़सली विभिन्नता और स्वै-निर्भरता लाना मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने पालिसी प्रोग्राम में राज्य के कारकों, स्रोतों और चुनौतियों को मद्देनज़र रखते हुए 2025 तक स्वै-निर्भरता के लिए एक रूप रेखा तैयार करने पर ज़ोर दिया। पंजाब राज्य किसान कमीशन के पूर्व चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि फ़सली विभिन्नता सिर्फ़ एक विचार ही नहीं, बल्कि अभी तक एक अधूरा स्वप्न है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानी कर्ज़े, पानी का गिरता स्तर, जैविक विभिन्नता के नुक्सान आदि जैसी समस्याओं को फ़सली विभिन्नता से ही ठीक किया जा सकता है क्योंकि फ़सली विभिन्नता के साथ बड़ी संख्या में मानवी दिहाड़ियां पैदा की जा सकती हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को भी कहा कि वह फ़सली विभिन्नता प्रोग्राम के द्वारा भारत की पौष्टिक सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए पंजाब के लिए ट्रांसमिशन कमीशन की स्थापना सम्बन्धी पंजाब राज्य का पूरा समर्थन करें।

आईएसबी हैदराबाद से प्रोफ़ैसर अश्वनी छत्रे ने अपने आनलाइन संबोधन के दौरान कहा कि पंजाब और अन्य राज्यों के लिए क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर समय की सख़्त ज़रूरत है क्योंकि मोनो करोपिंग हमारे वातावरण के लिए अनुचित है। उन्होंने फ़सली विभिन्नता की इकाईयों /स्तर को पारिभाषित करने और मौसमी खतरों के मामलो में बीमा विधि की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। वर्कशाप के दौरान फ़सली विभिन्नता की ज़रूरत, फ़सली विभिन्नता में खोज /प्रौद्यौगिकी /खेती मशीनीकरन, फ़सली विभिन्नता में बाग़बानी की भूमिका, पशु पालन /सम्बन्धित क्षेत्रों की भूमिका और फ़सली विभिन्नता, किसान उत्पादक संगठन, फ़सली विभिन्नता में फार्मर कोआपरेटिवस और अन्य हिस्सेदार, फ़सली विभिन्नता के बाद  फूड प्रोसेसिंग और एग्रो इंडस्ट्रीज की महत्ता और फ़सली विभिन्नता में एमएसपी और बाज़ारों की भूमिका से सम्बन्धित अलग-अलग विषयों पर सात सैशन करवाए गए। मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में क्षेत्र विशेष मुद्दों को शामिल करते हुए फ़सली विभिन्नता पर क्षेत्रीय कान्फ़्रेंसों की एक लड़ी भी करवाई जायेगी और इसके बाद भारत सरकार को एक संयुक्त रिपोर्ट सौंपी जायेगी।  

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