भागीदारी प्रोजैक्ट के माध्यम से जिला प्रशासन धान की पराली जलाने के रुझान पर लगाएगा अंकुश: अपनीत रियात

होशियारपुर, (द स्टैलर न्यूज़)। डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने बताया कि जिले में धान की पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से भागीदारी प्रोजैक्ट शुरु किया गया है, जिसमें कृषि, बागवानी, उद्योग व किसान मिलजुल कर पराली को आग लगाने से रोकने की पहल पर काम करेंगे। वे आज जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स में उक्त विभागों के अधिकारियों के अलावा जिले के अलग-अलग ब्लाकों के किसानों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पराली को आग न लगाने वाले व आग लगाने वाले दोनों तरह के किसानों से बातचीत कर उनकी बात को सुना और विश्वास दिलाया कि भागीदारी प्रोजैक्ट के माध्यम से किसानों की सभी समस्याओं का निवारण किया जाएगा।

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डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि पंजाब के अन्य जिलों के मुकाबले होशियारपुर जिले में धान की पराली को जलाने के मामले काफी कम है और वर्ष 2020 के मुकाबले भी इस वर्ष जिले में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है लेकिन जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि जिले से कोई भी पराली जलाने का मामला रिपोर्ट न हो। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में जिले में पराली जलाने के 407 मामले सामने आए थे जबकि इस वर्ष 328 मामले ही सामने आए हैं, जो कि विभागों व किसानों की भागीदारी के कारण ही संभव हो पाया है। उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट व पंजाब सरकार पराली जलाने के मामले को लेकर काफी गंभीर है और आने वाले समय में सख्त रुख भी अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भागीदारी प्रोजैक्ट शुरु करने का उद्देश्य यही है कि सभी संबंधित विभाग, उद्योग व किसान एकसाथ इस विषय पर काम करें ताकि जिले को पराली जलाने से मुक्त बनाया जा सके।

डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने इस दौरान ब्लाक कृषि अधिकारियों व किसानों के अनुभवों को सुना और कहा कि जिले के किसान काफी प्रगतिशील है और वे उम्मीद करती हैं कि आने वाले वर्ष में जिले में पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि जहां किसानों को पराली के सही प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीने मुहैया करवाई जा रही है वहीं जागरुकता अभियान के माध्यम से भी उन्हें जागरुक किया जाता है। उन्होंने किसानों को पराली न जलाने के स्थान पर उसका मशीनरी के साथ खेतों में ही सही प्रबंध करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बिना सुपर एस.एम.एस वाली कंबाइन हारवेस्टर के इस्तेमाल के बाद खेत में पड़े धान की पराली को किसानों की ओर से आम तौर पर आग लगा दी जाती है, जिससे धरती की उपजाऊ शक्ति, मानवीय स्वास्थ्य व अन्य जीव जंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है व वातावरण भी प्रदूषित होता है।

अपनीत रियात ने बताया कि प्रदेश में किसानों विशेष तौर पर बहु गिनती छोटे व सीमांत किसानों के लिए सरकार की ओर से इन मशीनों को किराए पर लेने के लिए वाजिब रेट निर्धारित किए गए हैं। कस्टम हायरिंग सैंटरों व उनके पास उपलब्ध मशीनों की सूची संबंधित ब्लाक कृषि कार्यालय से संपर्क कर ली जा सकती है। इसके अलावा सरकार की ओर से रिमोट सैसिंग सैंटर लुधियाना की सहायता से मशीनों की उपलब्धता दर्शाने के लिए एक मोबाइल एप आई-खेत पंजाब भी तैयार किया गया है, जिसमें किसानों अपने आपको रजिस्टर कर अपनी लोकेशन से कुछ किलोमीटर की सीमा के अंदर उपलब्ध कस्टम हायरिंग सैंटरों व उनके पास उपलब्ध मशीनों का विवरण प्राप्त कर मशीनों को किराए पर बुक करवा सकते हैं। उन्होंने किसानों को धान की पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरुक किया व खेती मशीनरी के माध्यम से धान की पराली प्रबंधन के बारे में तकनीकी जानकारी सांझी की। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी किसानों के साथ बैठकों का दौर इसी तरह से जारी रहेगा ताकि उनकी सही समस्या पर फोकस कर उसका निवारण किया जा सके। इस मौके पर मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह, जिला विकास फैलो आदित्य मदान, जी.एम. जिला उद्योग केंद्र अरुण कुमार, कृषि व बागवानी विभाग के अधिकारी, किसान व उद्योगपति भी मौजूद थे।

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