जन्म दिवस पर विशेष: जननायक के रूप में धूमल दो बार बने हिमाचल के सीएम

हमीरपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल का जन्म 10 अप्रैल, 1944 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हुआ । हमीरपुर डीएवी हाईस्कूल टौणी देवी से मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद 1970 में उन्होंने जालंधर (पंजाब) के दोआबा कॉलेज से इंग्लिश में एमए किया था। प्रेम कुमार धूमल पंजाब यूनिवर्सिटी से संबद्ध दोआबा कॉलेज (जालंधर) से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद ही एलआईसी से जुड़ गए थे। भारतीय जीवन बीमा निगम में काम करने के साथ-साथ प्रेम कुमार धूमल ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री भी प्राप्त कर ली। इसके बाद उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी इवनिंग कॉलेज और दोआबा कॉलेज, जालंधर में अध्यापन कार्य करना शुरू कर दिया। इनके परिवार में पत्नी शीला धूमल और दो पुत्र हैं। इनके दोनों पुत्र भी राजनीति से ही जुड़े हुए हैं। अनुराग ठाकुर हमीरपुर से सांसद तथा केंद्र में मोदी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हैं। अरूण धूमल बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष पद पर तैनात हैं।प्रेम कुमार धूमल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। वह अपने नागरिकों के कल्याण के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। 1998 से 2003 तक बीजेपी और हिविका गठबंधन की सरकार में धूमल मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बाद वे दिसबंर 2007 से 2012 तक प्रदेश के सीएम रहे।

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2017 में बीजेपी उन्हीं के नेतृत्व में सत्ता में आई लेकिन आश्चर्यजनक तौर पर अपनी सीट से चुनाव हार गए। कॉलेज में अध्यापन करने के दौरान प्रेम कुमार धूमल राजनीति से जुड़ गए थे, कई वर्षों तक वह वह शिक्षक संघों के कार्यालयों में अधिकारी पद पर आसीन रहे। उन्होंने सक्रिय राजनैतिक जीवन की शुरुआत सबसे निचले पायदान से की थी। शुरुआती दिनों में वह पार्टी में से कार्यकर्ता ही थे। इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में बड़े पद पर भी रहे। प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद नौवीं और दसवीं लोकसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1993 में वह भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 1998 में जब प्रेम कुमार धुमल ने पहली बार विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की तब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए. वर्ष 2007 के उपचुनावों में जीतने से पहले प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। प्रेम कुमार धूमल ने पूरे राज्य की सर्वआयामी उन्नति को अपना उद्देश्य माना है। उनके प्रयासों के द्वारा हिमाचल प्रदेश का चेहरा पूरी तरह परिमार्जित हो गया है। उन्होंने राज्य में ऊर्जा विकास के लिए 600 मेगावाट प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जो पिछले पचास वर्षों से 298 मेगावाट पर ही सीमित था। हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिले और गांव को सडक़ परिवहन से जोडऩे के कारण स्थानीय नागरिक प्रेम कुमार धुमल को सडक़ वाला मुख्यमंत्री भी कहा करते हैं।

शिक्षा पद्वति में सुधार लाने के लिए भी धूमल ने कई प्रयास किए। इनमें से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है राज्य के प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में तीन पक्के कमरों का निर्माण। इन सबके अलावा पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को बिना किसी भेद-भाव के छात्रवृत्ति प्रदान करने की पहल भी प्रेम कुमार धुमल ने ही की थी। अपने प्रशंसनीय प्रयासों को प्रभावी रूप में लागू करने के लिए प्रेम कुमार धुमल को 2 बार गोल्डन पीकॉक अवार्ड भी प्रदान किया गया। प्रेम कुमार धूमल ने क्षेत्र के विकास और पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत अधिक कार्य किए हैं। इन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि हिमाचल प्रदेश भारत का पहला कार्बन तटस्थ राज्य है. बच्चों की पढ़ाई को महत्व देते हुए, उन्होंने किसी भी स्कूल में सरकारी आयोजन करने पर रोक लगा दी थी। हिमाचल की खूबसूरती बनाए रखने और पर्यावरण को स्थिर रखने के लिए प्रेम कुमार धूमल के प्रयासों को हमेशा देश भर में सम्मान मिला। सैनिकों, पूर्व सैनिकों , कर्मचारियों ,बागवानों , महिलाओं , युवाओं , खिलाडिय़ों तथा पर्यटन उद्यमियों के लिए धूमल द्वारा शुरू विकासात्मक कार्यक्रमों और नीतियों को प्रदेश के अन्य राज्यों भी अपनाया। आज भी धूमल को सहज और आसानी से मिल पाने वाले नेता के रूप में पहचान हाजिर है और प्रदेश भर में उनके लाखों समर्थक उनकी झलक पाने के लिए अतुर रहते हैं।

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