कपूरथला(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढ़िया। गत दिवस दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की शाखा कपूरथला में साप्ताहिक सत्संग के दौरान श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रीतू भारती जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज यदि चारों ओर दृष्टिपात करें यही दृष्टिगोचर होगा कि प्रत्येक इंसान दुःखी है,अशांत है। हमारे महापुरूषों ने बताया कि इंसान यदि आज दुःखी है तो इसका एकमेव कारण वो स्वयं है। उसकी प्रकृति,उसका स्वभाव ,उसका दृष्टिकोण है क्योंकि हर विषय और वस्तु के प्रति इंसान नकारात्मक हो गया है इसी वजह से निराशा चिंता उसके जीवन का एहम अंग बन गया पर यह भी तो प्रश्न है यदि सृष्टि का सरताज मानव ही नकारात्मक हो चुका है तो सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी कहां से?
इसका एक ही उत्तर मिलेगा ,संतों की संगत से।सत्संग एक ऐसा आभामंडल निर्मित करता है जिस में से सकारात्मक ऊर्जा का ऐसा प्रवाह परवाहित होता जिस के बारे में कहा है “सत्संग वो गंगा है इसमें जो नहाते है पापी से पापी भी पावन हो जाते।”जलती हुई मानवता को अगर कोई शीतलता दे सकता है वो है ब्रह्मज्ञान।ब्रह्मज्ञानी संत का करकमल मस्तक को स्पर्श कर जाए दिव्य नेत्र खुले और अनंत ईश्वर को मानव घट में ही देख ले फिर भीतर की सकारात्मक ऊर्जा बाहर भी परवाहित होगी तो जीवन शांत हो जाएगा।
इस दौरान साध्वी रमन भारती जी ने मधुर भजन संकीर्तन का गायन कर श्रद्धालु भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया।