समस्त राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का ईलाज सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य हो तो सुधर सकते हैं हालात: हीर 

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री हीर ने बड़े दुख भरे लहज़े में कहा कि लम्बे समय से हम बतौर सोशल वर्कर हस्पतालों/दफ्तरों में जा रहे हैं पर 75 सालों में इन संस्थाओं की हालत नही बदली बल्कि दिन-ब-दिन तरस योग्य बनती जा रही है। आज हम भी अपने आप को थका हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने दुख भरी दास्तान बताते हुये कहा कि यह हस्तपाल मेेरे परिवार के एक मरीज़ के साधारण  बुखार का ईलाज नही कर सके , दाखिल मरीज का सुबह 8.00 बजे से पहले टैस्ट के लिए ख्ूान ले जाकर दौपहर के 2.00 बजे तक दिया जिसमें 46 हज़ार सैल होने की पुष्टि की गई तथा सैल चढ़ाने के लिए परिवार को कह दिया पर जब सैलो के प्रबन्ध के लिए गये तो वहां 10 बजे 3 खून टैस्ट करने पर 89 हज़ार सैल की रिपोर्ट आई। फिर भी हस्पताल में सैल चढ़ा दिये गये पर सिवल हस्पताल में बढि़या/स्टैंडर्ड की दवाई से ईलाज न होने के कारण मजबूरी में प्राईवेट हस्पताल में मरीज़ को ले जाना पड़ा पर वहा भी लापरवाही करके ईलाज ठीक नही हुआ तथा बिमारी बढ़ती गई। प्राईवेट हस्पतालों पर सरकार कोई कंट्रोल न होने के कारण वो मरीज़ों के साथ लूट-खसूट करते है तथा जनता तथा सरकार के सामने जवाबदेह भी नही हैं।  

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श्री हीर ने प्रैस को यह भी बताया कि मरीज़ के ईलाज की जानकारी प्राप्त करने के लिए सिवल हस्पताल के अधिकारियों के साथ विस्तार से बातचीत की पर दिल को संतुष्टि नही मिली क्योंकि डाक्टरों की कमी, टैस्ट लैबोरेटरी  में स्टाफ की कमी तथा स्टैंडर्ड की दवाईयां न मिलनी और न ही बाहर से खरीदने की इज़ाजत होने के कारण, टैस्टों की रिपोर्ट ठीक न होने के कारण ईलाज ठीक ढंग से नही होता जिस कारण मरीज़ की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार को हैल्थ सिस्टम को ठीक करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए नही तो इस सिस्टम से तंग आकर लोगों को इस सिस्टम को बदलने के लिए संघर्ष के रास्ते चलना होगा। अब लोगों में आक्रोश के चलते झूठे वायदों तथा कार्पोरेट घरानों का समर्थन करने वाली सरकार का राजसत्ता में रहना मुश्किल हो जायेगा। अब उसको जनहित में निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।  

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