तरपालों की ख़रीद हेतु संशोधित नीति को मंजूरी: लाल चंद कटारूचक्क

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। ख़ाद्य, सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मामले विभाग की अलग-अलग नीतियों/ प्रक्रियाओं में सुधार करने हेतु मुख्यमंत्री भगवंत मान के दिशा-निर्देशों पर कार्यवाही करते हुए ख़ाद्य, सिविल सप्लाई मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने आज ख़राब मौसम के दौरान धान के स्टाक की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तरपालों की खरीद सम्बन्धी संशोधित टैंडर मापदण्डों को मंजूरी दे दी है। संशोधित टैंडर नियमों और शर्तों को अब देश भर में ख़ुद एफ. सी. आई. के द्वारा खरीद के लिए इस्तेमाल किये जाते प्रवानित नियमों और शर्तों के अनुसार बनाया गया है। नये उद्यमियों को उत्साहित करने के लिए नीति में से अब तजुर्बो की मद को हटा दिया गया है, जिससे टैंडरों के लिए बोली लगाने के लिए नयी औद्योगिक इकाईयों के लिए रास्तें साफ कर दिए गए हैं। इसके इलावा, व्यापक भागीदारी को उत्साहित करने के लिए, सप्लायर, जोकि प्रमुख निर्माता द्वारा अधिकारित हैं, को भी टैंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने की इजाज़त दी गई है। इससे आपसी मुकाबलेबाज़ी बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि यह महसूस किया जा रहा था कि दूर-दूराज के निर्माता, अक्सर टैंडर प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रह जाते थे।

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छोटे उद्योगों को टैंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए उत्साहित करने के लिए बोलीकार की तरफ से पेश की जाने वाली तरपालों की कम से कम संख्या को घटा दिया गया है। पूरी पारदर्शिता को यकीनी बनाने के लिए पंजाब सरकार की ई-टैंडरिंग वैबसाईट पर टैंडर उपलब्ध रहेंगे। सप्लाई की जा रही तरपालों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए व्यापक निरीक्षण प्रोटोकोल भी तय किये गए हैं। इनमें फ़ैक्ट्रियों में निरीक्षण के साथ-साथ डिलीवरी प्वाइंट पर भी निरीक्षण किया जाना शामिल है, जोकि इन प्रोटोकोलों को एफ. सी. आई. द्वारा अपनाए गए प्रोटोकोलों की अपेक्षा भी सख़्त बनाता है। तरपालों के लिए मौजूदा मापदण्डों के वित्तीय लाभ को मान्यता देते हुए, जोकि 2 सालों के प्रयोग के लिए होती हैं, राज्य के मापदण्डों को बरकरार रखा गया है। बताने योग्य है कि पिछले कई सालों से, पंजाब सरकार के पास तरपालों के लिए अपने विशेष मापदंड हैं, जोकि एफ. सी. आई. मापदंडों पर खरीदीं गई तरपालों के मुकाबले सरकार को एक महत्वपूर्ण वित्तीय बचत की पेशकश करते हैं, जिनके प्रयोग का समय सिर्फ़ एक साल होता है।

यहाँ यह भी बताने योग्य है कि कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ख़ाद्य, सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मामले विभाग के कामकाज की समीक्षा करने के लिए एक मीटिंग के दौरान विभाग को मौजूदा नीतियां और खरीददारी की व्यापक समीक्षा और सुधार करने के निर्देश दिए थे जिससे इनको और पारदर्शी और प्रतियोगी बनाया जा सके। उन्होंने यह भी हिदायत की कि विभाग नये उद्योग को उत्साहित करने के लिए जहां भी संभव हो, नये उद्यमियों को उत्साहित करे। इन निर्देशों की पालना में, विभाग ने पहले ही कस्टम मिलिंग नीति में संशोधन कर दिया है, जिसमें महत्वपूर्ण पहलकदमियों की शुरुआत की गई है, और जिसको बाद में मंत्रीमंडल की तरफ से भी मंज़ूरी दे दी गई थी। विभाग ने अपनी लेबर नीति और ट्रांसपोर्टेशन नीति को भी सुधारा है, इन दोनों को मंजूरी के लिए आगे मीटिंग के दौरान मंत्रीमंडल के सामने पेश किया जाना है।

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