खोज करते रहे एक की, चार रत्न हम पा गए, मानो चारों पदार्थ हम पा गए

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। खोज करते रहे एक की, चार रत्न हम पा गए। यह उदगार अयोध्या नरेश महाराज दशरथ ने श्री प्रताप धर्म प्रचारणी राम लीला दशहरा कमेटी ने सायं देवी तालाब और रात्रि को शालीमार बाग में श्रीराम अवतार, सीता जन्म नाटक के मंचन दौरान कहे। श्रीराम अवतार सीता जन्म के दृश्य को पेश करने के दौरान नारद, ब्रह्मा, गणेश और पृथ्वी देवताओं ने भगवान शिव शंकर को प्रार्थना करते हुए मदद की गुहार लगाई।

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उनकी करूनामयी पुकार  सुनते ही भगवान शंकर आंखे खोलते हुए देवी देवताओं को कहते है कि आप सभी धीरज रखिए हमें विष्णु को याद करना पड़ेगा। महादेव की बात का इशारा समझते ही सभी देवताओं ने विष्णु जी के दरबार में जाकर प्रार्थना करते है कि हमें राक्षसों से बचाने के लिए रक्षा करें। विष्णु देवताओं की पुकार सुन कर कहते है कि वह जल्द अयोध्या नरेश महाराजा दशरथ के घर में जन्म लेंगे। दूसरी ओर अयोध्या नरेश अपने दरबार में विचलित हालत में बैठे सोचते है कि उन्हें संतान की प्राप्ति हो। इसी दौरान महाराजा दशरथ गुरू वशिष्ठ को संदेशा भेजते है। दरबार में पहुंचे गुरू वशिष्ठ महाराजा को कहते है कि आप यज्ञ करवाओ, आपको संतान सुख प्राप्त होगा।

राजा दशरथ विधिपूर्वक यज्ञ करवाते है और उसके बाद उनकी रानी कौशल्या से प्रभु श्री राम, कैकई से भरत और रानी सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होता है और खुश हुए राजा दशरथ कहते है कि खोज करते एक की रत्न चार हम पा गए, मानो हमारे हाथ में चारों पदार्थं आ गए। दूसरी तरफ  मिथिलापुरी नरेश महाराजा जनक के दरबार में किसान राजा से प्रार्थना करते है कि मिथिलापुरी में अकाल पड़ने से सभी पशु-पक्षी व इंसान भूखे व प्यासे है और अन्न का एक दाना खेत में पैदा नहीं हो रहा है। उनकी बात सुनते ही महाराजा जनक गुरू देव को दरबार में बुलाकर कारण पूछते है। प्रभु कहते है कि सूर्य देवता व इंद्र देवता मिथलापुरी से नाराज है, जिसका उपाय है कि खेतों में सोने का हल चलाया जाए। जैसे ही राजा जनक खेतों में हल चलाते है तो एक जगह हल फंस जाता है और जब हल हटाकर देखते है तो एक घड़े में सुंदर कन्या दिखाई पड़ती है, जिसका नाम सीता रखा गया। प्रभु राम के अवतार और सीता जन्म के दृश्यों को देखकर भक्तजनों ने सीयापती राम चंद्र की जय के जयकारे लगाकर माहौल भक्तिमय बना दिया। इस मंचित नाटक का उदघाटन सभा के वरिष्ठ सदस्य व सलाहकार बिशंबर दास ने अपने कर कमलों से किया। 

इस अवसर पर श्री प्रताप धर्म प्रचारिणी सभा रामलीला दशहरा कमेटी के अध्यक्ष विनोद कालिया, कमलजीत सिंह, कृष्ण लाल सर्राफ, सुरिंदर शर्मा, रजिंदर वर्मा, राजेश सूरी, सतीश शर्मा, गुलशन लुंबा, एडवोकेट पवन कालिया, पवन लुंबा, बावा पंडित, मंगल सिंह, दविंदर कालिया, बिशंबर दास, भूपिंदर सिंह, लखविंदर सिंह, अश्वनी सूद, हरवंत सिंह भंडारी, किशन दत्त शर्मा समेत सभा सदस्य व कलाकार उपस्थित थे।

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