होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर होशियारपुर में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री दिवेशा भारती जी ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे अपना जीवन यापन करने के लिए अन्य रिश्ते नातों की आवश्यकता होती है। अपने मित्रों व रिश्ते नातों से ही वह अपनी निजी व भावनात्मक जरूरतें पूरी करता है। यह विचारणीय बात है कि जब हम किसी का संग करते हैं तो उस संगति के विचार हम पर सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालते हैं,इससे हमारे कर्म संस्कार बनते हैं। हम अपने जीवन में वही कार्य करते है जो हमने जाने अनजाने में अपने आसपास के लोगों से विचारों के रूप में ग्रहण किए होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र कहते हैं कि नर्क और स्वर्ग का रास्ता इंसान की संगति तय करती है। इसलिए हमारे महापुरूषों ने सत्संग की बड़ी महिमा गाई है।
सत्संग का अर्थ है सत्य का संग करना लेकिन परमात्मा सत्ता के अलावा यहां संसार में जो भी हम अपनी इंद्रियों द्वारा अनुभव कर रहे हैं वह सब मिथ्या है। उन्होंनें कहा कि प्रभु कृपा के बिना सत्संग की प्राप्ति नहीं हो सकती है। जब हमारे कई जन्मों के पुण्य एकत्रित होते है तभी हमें किसी ब्रह्मनिष्ठ संत का सानिध्य प्राप्त होता है। उन्होंनें कहा कि मानव तन का मिलना परम सौभाग्य की बात है लेकिन अगर हम अपने मानव जीवन को संसार के विषय भोगों में लिप्त करके इसे व्यर्थ गंवा देते है जो हमारी आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग कभी नही खुल पाता। हम पशुवत जीवन जीकर अंत में संसार से यूं ही विदा हो जाते हैं। जो विवेकशील आत्माएं होती है वे इस मानव जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाती और पूर्ण सतगुरू से ब्रह्मज्ञान की दिक्षा प्राप्त कर अपना आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त कर लेती है। उन्होंने कहा कि हमें जीवन का सत्य जानकर अपने भीतर ही प्रभु के निराकार रूप प्रकाश का दर्शन करना चाहिए तभी हम संसार में रहना सीख पाएंगे। जैसे कमल का फूल कीचड़ में रहते हुए भी सदैव अपना नाता सूर्य से बनाए रखता है।