गुरू एवं शिष्य का संबंध आत्मा और मन के स्तर पर एक चिरस्थायी मिलन है: साध्वी प्रियंका भारती

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम के दौरान सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री प्रियंका भारती जी ने कहा कि आध्यात्मिक विचारों का उदेश्य भक्तों को मनोवैज्ञानिक,बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विचारों से परिपोषित कर उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना है। आधुनिक युग,यंत्र उपकरणों से युक्त एक मशीनी युग है। आज यह मशीनीकरण व्यक्ति के जीवन में तनाव, नकारात्मकता, उद्विग्नता जैसी कई अन्य समस्याओं का मूल आधार है। आज यदि जीव इन समस्याओं से निजात पाना चाहता है तो उसे आध्यात्मिक का चयन करना होगा। भक्ति का मार्ग ही ऐसा मार्ग है,जिस पर चल कर व्यक्ति विवेक पूर्ण अनूशासित जीवन यापन कर सकता है।

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उन्होंनें अनुशासन एवं समर्पण के विषय को समझाते हुए बताया कि जब एक पूर्ण संत द्वारा शिष्य अपने भीतर ईश्वर का साक्षात्कार करता है और फिर सतगुरू पर पूर्ण विश्वास रखते हुए उनकी प्रत्येक आज्ञा एवं निर्देशों का पालन करते हुए भक्ति मार्ग पर चलता है,तो वह कभी मार्ग से विचलित नही होता। जिस प्रकार खोखली बांस द्वारा ही बांसुरी का निर्माण किया जाता है। ठीक उसी प्रकार एक शिष्य को भी स्वयं को अहंकार एवं अन्य सांसारिक दोषों से रहित कर स्वयं को गुरू चरणों में समर्पित कर देना चाहिए ताकि गुरू उसका आन्तरिक निर्माण कर पाए।

गुरू एवं शिष्य का संबंध आत्मा और मन के स्तर पर एक चिरस्थायी मिलन है। उन्होंने आगे बताया कि गुरूदेव श्री आशुतोष महाराज जी एक ऐसे ही तत्ववेता गुरू है जो ब्रहमज्ञान प्रदान कर अपने प्रत्येक शिष्य के घट में उस परमात्मा का साक्षात्कार करा उन्हें भक्ति मार्ग पर अग्रसर कर रहे है।

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