मोदी सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं से कम हो रही गरीबी: उमेश शारदा

कपूरथला(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। गरीब वर्ग को प्रति माह मुफ्त राशन देने के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले 12 महीने के लिए बढ़ाये जाने का सवागत करते हुए भाजपा के पूर्व प्रदेश सचिव व प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य उमेश शारदा ने कहा कि गरीब वर्ग को मुफ्त राशन देने के लिए मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही गरीब कल्याण अन्न योजना के जरिए 80 करोड़ से अधिक गरीबों वर्ग के लाभार्थियों को राहत दी गई है जो मोदी सरकार के गरिग हितेषी होने का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में सबसे ज्यादा योजनाएं गरीबों, पिछड़ों और जनजातीय लोगों के लिए बनाई गई। इन कार्यक्रमों से जुड़े आंकड़े खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं कि योजनाएं कितनी सफल हुई हैं। तकरीबन आठ सालों में सरकार ने इस तरह की योजनाओं में 91 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। योजनाओं का लाभ जनजातीय समुदाय के लोगों को ठीक तरीके से मिल सके इसके लिए ट्राइबल रिसर्च सेंटर की स्थापना भी की गयी है। शारदा ने कहा कि पीएम मोदी मानते हैं कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के फायदों को आम आदमी तक पहुंचाती हैं, तो जनता के बीच सरकार के प्रति भरोसा बढ़ता है।

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गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए सरकार के नजरिए को साफ करते हुए शारदा ने बताया कि सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास,सबका प्रयास ये मोदी सरकार के लिए सिर्फ नारा ही नहीं,बल्कि एक जिम्मेदारी भी है।मोदी सरकार बड़ी संजीदगी के साथ गरीबों के कल्याण के लिए काम में लगी है। जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार ने केंद्रीय योजनाओं पर वित्त वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक ₹91,000 करोड़ का आवंटन किया है। 2014-15 से पहले यह सिर्फ ₹19,437 करोड़ ही था।पीएम मोदी ने समाज के शोषित और वंचित वर्ग के लिए वित्तीय आवंटन खासा बढ़ाया है। भारत में अब तक राष्ट्रीय स्तर पर जनजातियों के लिए कोई रिसर्च सेंटर नहीं था। लेकिन पीएम मोदी की पहल पर ट्राइबल रिसर्च सेंटर की स्थापना की गयी है। आदवासियों की शिक्षा मोदी सरकार की प्राथमिकता है। खास बात ये है कि सिर्फ आदिवासियों की शिक्षा पर 8500 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान रखने की बात है कि आदिवासी कल्याण की पहल भी वाजपेयी सरकार के दौरान शुरू हुई। 1999 में अटलजी ने पहली बार आदिवासी कल्याण मंत्रालय बनाया था। 2014 तक नरेन्द्र मोदी गुजरात के लंबे समय तक सीएम रहे।मध्यप्रदेश,झारखंड,छत्तीसगढ़ में जब तक शासन था,तब तक आदिवासी कल्याण के लिए बीजेपी सरकारें काम करती रही हैं। शारदा का कहना है कि आदिवासी कल्याण की योजनाओं को सीधा उन तक पहुंचाना,सीधा खाते में पैसा डालना,उनकी संस्कृति और आजीविका को बनाए रखने की कोशिशों का नतीजा है कि अब ये समाज भी पीएम मोदी पर भरोसा करने लगा है।इसका जीता जागता सबूत है गुजरात की ज्यादातर आदिवासी विधानसभा सीटों पर बीजेपी की जीत।उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे भारत में 700 से ज्यादा जनजातियां रहतीं हैं। इनमें से 75 प्रीमिटिव ट्राइब्स हैं।2011 की जनगणना के मुताबिक देश की आबादी का लगभग 8 फीसदी है,जो और एक अनुमान के मुताबिक अब करीब 13-14 करोड़ होगी।पीएम मोदी की सरकार ने इन जनजातियों का देश की आजादी की लड़ाई में अतुलनीय योगदान के लिए हमेशा याद किया है।शारदा ने कहा कि पीएम मोदी ने हर मौके पर कहा है कि इन्हीं नायकों के चलते आजादी की राह आसान हुई।

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