दर्जा 3 व 4 कर्मियों के मैडीकल बिल शीघ्र क्लीयर करवाने के मामले को गंभीरता से ले सरकार: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सरकारी तंत्र में दर्जा 3 व 4 कर्मचारी बहुत ही अहम कड़ी का काम करते हैं तथा बहुत सारे सरकारी कार्य इनके माध्यम से ही जनता तक पहुंचते हैं। लेकिन इन कर्मियों को सरकार की तरफ से मिलने वाली मैडीकल रीइम्बर्समैंट सुविधा में देरी के चलते इन कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मियों को पेश आ रही इस समस्या का कड़ा संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार को इसे गंभीरता से हल करना चाहिए। यह मांग रोटरी आई बैंक एवं कर्निया ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी के अध्यक्ष व सेवानिवृत्त सुपरिंटेंडेट प्रसिद्ध समाज सेवी संजीव अरोड़ा कर्मियों की समस्या ध्यान में आने उपरांत सरकार से की। इस मौके पर संजीव अरोड़ा ने कहा कि मैडीकल रीइम्बर्समैंट के ऐसे कई केस हैं जिन्हें लेकर कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि, जब कोई कर्मचारी बीमारी के उपरांत सिविल सर्जन कार्यालय में फाइल जमा करवाता है तो वह कई साल तक रीइम्बर्स होकर नहीं आते तथा इसके कारण कर्मचारी को पैसे नहीं मिलते। उन्होंने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि पिछले 2 साल से भेजे हुए बिल भी आजतक पैंडिंग हैं।

Advertisements

कहा, केन्द्र की तर्ज पर कर्मियों के लिए कैशलैस योजना की शुरुआत करे पंजाब सरकार

श्री अरोड़ा ने बताया कि सिविल सर्जन कार्यालय से यह बिल डायरैक्टर हैल्थ कार्यालय में भेजे जाते हैं, जहां से बिल समय पर वापिस न आने के कारण समस्या उत्पन्न हो रही है। इतना ही नहीं कई बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद भी डायरैक्टर कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिल रहा। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह रिइम्बर्समैंट से जुड़े केसों का निपटारा करने के लिए विशेष टीम का गठन करके इनके हल संबंधी समयावधि तय करे ताकि कर्मियों को बिल देने उपरांत सालों इंतजार न करना पड़े। श्री अरोड़ा ने पंजाब सरकार से मांग की कि वह केन्द्र सरकार की तर्ज पर कर्मचारियों खासकर दर्जा 3 व 4 के लिए कैशलैस योजना की शुरुआत करे ताकि उन्हें रिइम्बर्समैंट के चक्कर में फंसना न पड़े। श्री अरोड़ा ने कहा कि एक तो पहले ही इलाज बहुत महंगा है तथा ऊपर से कार्यालयों के चक्कर बीमारी में घिरे कर्मी की परेशानी को बढ़ा देते हैं।

इतना ही नहीं सरकारी अस्पतालों में समस्त बीमारियों के इलाज की व्यवस्था न के बराबर होने के कारण कर्मियों को मजबूरन प्राइवेट अस्पताल में जाने के विवश होना पड़ता है तथा सरकारी रिइम्बर्समैंट सरकारी अस्पतालों में इलाज के हिसाब से तय रेटों पर दिया जाता है, जोकि काफी कम होता है। इन रेटों को भी रिवाइजड़ करने की जरुरत है। श्री अरोड़ा ने पंजाब सरकार एवं मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांग की कि वह निजी तौर पर इन कर्मियों की परेशानी को देखते हुए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाएं ताकि यह कर्मचारी बिना किसी परेशानी के अपने फर्ज को निभा सकें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here