मनुष्य के मन में निरंतरता है, तो वह अपने मन का विजेता बन सकता है: साध्वी प्रियंका भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़): दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर स्थित आश्रम में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  जिसमें सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री प्रियंका भारती जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोई भी मनुष्य कभी भी जन्म से अपराधी नहीं हो सकता।  उसका अपराध संसार में प्रवेश करने के बाद उसका विकृत मन है। मनुष्य के मन में निरंतरता नहीं है। यदि उसके मन में निरंतरता है, तो वह अपने मन का विजेता बन सकता है।  जिस विषय में हमारे महापुरुष भी कहते हैं कि विचारों का हमारे मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है या हम यह भी कह सकते हैं कि विचार हमारे कर्म का बीज हैं।  जैसा हमारा विचार होता है, वैसा ही हमारा विचार होता है, जैसा हमारा विचार होता है, वैसा ही हमारा कर्म होता है और वही कर्म हमारा आचरण बन जाता है, इसलिए हमारा चिंतन श्रेष्ठ होना चाहिए।

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साध्वी जी ने अपने मत में आगे कहा कि यदि हम अपना इतिहास देखें तो हमें पता चलेगा कि अंगुलिमाल जो डाकू था, पर जैसे ही उसे पूर्ण सतगुरु महात्मा बुद्ध जी की शरण मिली, वह संत हो गया।  इसलिए, हमें अपने विकृत मन को ठीक करने और अपने वास्तविक स्वरूप के साथ पहचान करने की आवश्यकता है।  यह सब केवल बाहरी साधनों से संभव नहीं है, इसलिए यह केवल ब्रह्म ज्ञान  से ही संभव हो सकता है।  क्योंकि यह पूर्ण सतगुरु की कृपा से ही संभव है।  तब यह कहना सही नहीं होगा कि जब हम स्वयं को सही दिशा देंगे तो एक दिन हम समाज को दिशा देने के योग्य बनेंगे।

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