जालंधर, (द स्टैलर न्यूज़)। संयुक्त किसान मोर्चा की सदस्य महिला किसान यूनियन ने श्री दरबार साहिब अमृतसर से मुफ्त कीर्तन के प्रसारण के संबंध में केंद्रीय गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में संशोधन करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा पारित ‘सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक’ को अवैध बताते हुए कहा है कि राज्य सरकार को इस तरह का संशोधन करने का संवैधानिक अधिकार ही नहीं है और इस अवैध संशोधन को राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं मिलेगी। इस वजह से भगवंत मान का यह राजनीतिक ‘शोशा’ मजाक से ज्यादा कुछ नहीं साबित होगा।
यहां जारी एक बयान में यूनियन की अध्यक्ष बीबा राजविंदर कौर राजू ने कहा कि पंजाब सरकार को गुरबानी या दरबार साहिब के बारे में कोई फैसला लेने से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से चर्चा करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि गुरबानी परचार को लेकर की जा रही अनावश्यक कार्रवाई मुख्यमंत्री भगवंत मान का गुरुद्वारा व्यवस्थाओं में सीधे हस्तक्षेप करना, सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्रोमणि कमेटी को तोड़ना, आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा किए जा रहे धोखाधड़ी के कारनामों और पंजाब के ज्वलंत मुद्दों, खासकर किसानों की मांगों से लोगों का ध्यान हटाने का पर्यास है।
महिला नेता ने कहा कि राज्य सरकार नया गुरुद्वारा अधिनियम तो बना सकती है लेकिन उसे पुराने केंद्रीय गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में संशोधन करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गुरुद्वारा अधिनियम में अवैध रूप से संशोधन करके चंडीगढ़, हिमाचल और राजस्थान राज्यों के गुरुद्वारों की सेवा-सम्भाल करने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए सिख पंथ की ‘मिनी-संसद’ शिरोमणि समिति के अधिकार को कमजोर करने का एक नायाब प्रयास किया है जिसे सिख कौम कभी माफ नहीं करेगी। बीबा राजविंदर कौर राजू ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने नाम में ‘सिंह’ शब्द का प्रयोग नहीं करता है, रोज दाढ़ी बनाता है और काली करता है, मां से शराब छोड़ने की झूठी कसम खाता है और शराब पीकर गुरुद्वारा साहिब में प्रवेश करता हो, उसके मुंह से पवित्र गुरुद्वारे की व्यवस्था या गुरबाणी प्रसारण के अधिकार के बारे में बोलना शोभित नहीं है। इसलिए जो आदमी ‘सिख रेहत मर्यादा’ का पालन ना करता हो उसको गुरबाणी की बात करने से पहले अपनी पीढ़ी के नीचे छड़ी फेरनी चाहिए।