मुख्यमंत्री ने नशा तस्करी रोकने के लिए ड्रोनों की रजिस्ट्रेशन शुरू करने की वकालत की

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़): नशों के खि़लाफ़ जंग में राज्य सरकार की तरफ से पुरज़ोर कोशिशों संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अवगत करवाते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस खतरे से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों में सख़्त प्रावधान जोड़ने की वकालत की। केंद्रीय गृह मंत्री के नेतृत्व अधीन ”नशा तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा” संबंधी हुई वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लेते हुये भगवंत मान ने अवगत करवाया कि पंजाब पहला राज्य है, जिसने नशा सप्लाई चेन तोड़ने, नशा तस्करी और तस्करों की गिरफ़्तारी के लिए कानून को प्रभावशाली तरीके से लागू करने के लिए विशेष टास्क फोर्स और एस. टी. एफ. थानों का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने नशों के खतरे से निपटने के लिए तीन-आयामी रणनीति लागू की गई है, जिसमें कानून लागू करने, नशा मुक्ति और नशों की रोकथाम ( ई. डी. पी.) शामिल है। उन्होंने कहा कि ई. डी. पी. में नशा तस्करी के विरुद्ध कानून लागू करना, नशों के पीड़ितों को नशा मुक्त करना और विद्यार्थियों, नौजवानों और आम लोगों को नशों से बचाना शामिल है।

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राज्य में ओट क्लीनिकों की संख्या बढ़ाकर 528 की, जेलों में भी बने 16 ओट क्लीनिक, नशों के खतरे से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों में और सख़्त प्रावधान जोड़ने की वकालत की

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हर ज़िले में एंटी-नारकोटिक्स सेल कायम किये गए हैं और एन. डी. पी. एस. एक्ट के मामलों में जल्दी सुनवाई के लिए हरेक ज़िले में विशेष अदालतें बनाईं गई हैं। इसी तरह एस. ए. एस. नगर में एक फोरेंसिक साईंस लैबारटरी और लुधियाना, बठिंडा और अमृतसर में नशों की जांच के लिए तीन क्षेत्रीय एफ. एस. एल. स्थापित की गई हैं। भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के लिए दो हज़ार वर्ग गज़ का प्लाट अलाट किया है और रीजनल दफ़्तर, ज़ोनल रैज़ीडैंशल सैंटर और नार्को फोरेंसिक साईंस लैबारटरी के निर्माण के लिए अमृतसर में 2.5 एकड़ ज़मीन जारी कर दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में नशा तस्करी पाकिस्तान, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और जम्मू- कश्मीर से होती है। उन्होंने माँग की कि ड्रोनों की रजिस्ट्रेशन को लाज़िमी किया जाना चाहिए क्योंकि ड्रोनों का प्रयोग हथियार/हेरोइन/ विस्फोटक सामग्री की सरहद पार से तस्करी करने के लिए होती है, जो चिंता का विषय है। भगवंत मान ने कहा कि ड्रोनों से नशों की सप्लाई रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है और 2019 के बाद अब तक 491 ड्रोन देखे गये हैं और 51 ड्रोन बरामद किये गए हैं।

नशों के खतरे पर प्रभावशाली तरीके से काबू पाने के लिए सुझाव देते हुये मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के साथ लगती पंजाब की समूची अंतरर्राष्ट्रीय सरहद पर ड्रोन विरोधी तकनालोजी/जैमर लगाने की माँग की जिससे नशों और हथियारों की तस्करी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इसी तरह अत्याधुनिक क्षेत्रीय ड्रोन फोरेंसिक लैब पंजाब ख़ास तौर पर अमृतसर में स्थापित की जाये जिससे ड्रोन उड़ने और पहुँचने वाली जगह और इनके रूट मेप का पता लग सके। भगवंत मान ने कस्टम डेटाबेस तक पहुँच की माँग की जिससे अन्य मुल्कों से आने वाले शक्की कंटेनरों की नशा तस्करी वाले पक्ष से जांच की जा सके। मुख्यमंत्री ने हेरोइन की व्यापारिक मात्रा को मौजूदा 250 ग्राम से घटा कर 25 ग्राम करने पर भी ज़ोर दिया जिससे निचले स्तर पर ही तस्करी को रोका जा सके। उन्होंने आगे कहा कि हैड कांस्टेबल को सक्षम बनाते हुए छोटी मात्रा की परिभाषा और नारकोटिक ड्रग एंड साईकोट्रोपिक सबस्टैंस एक्ट की धारा- 27 के अधीन आने वाले मामलों के सम्बन्ध में निर्धारित ड्यूटियों निभाने के लिए शक्तियां दी जानी चाहिये। भगवंत मान ने कहा कि इससे तफ़तीशी अफ़सरों की संख्या बढ़ेगी और जांच के अधीन मामलों का बकाया घटेगा और एन. डी. पी. एस. एक्ट की धारा- 68-सी (2) में संशोधन करके मौजूदा छह साल की जायदाद ज़ब्त करने की हद को हटा दिया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने एक्ट की धारा-39(1) और 64-ए में संशोधन करने की भी माँग की, जिससे पीड़ितों और तस्करों में फर्क करने के लिए छोटी मात्रा में वसूली को आपराधिक श्रेणी से बाहर किया जाये। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को फोरेंसिक साईंस लैब (एफ. एस. एल.) की क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले दिल के साथ फंड अलाट करने चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि इससे जहाँ राज्य में से नशों की बीमारी का सफाया करने में मदद मिलेगी, वहीं हमारी नौजवान पीढ़ी को इसकी लत से बचाया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 मई 2023 तक ड्रोनों के द्वारा होती तस्करी को रोकने की कोशिशों के दौरान तकरीबन एक हज़ार किलो हेरोइन के साथ-साथ 56 हथगोले, 126 पिसतौलें/ रिवाल्वर, 11 ए. के.-47 और अन्य राईफलें, 9.5 किलो आर. डी. एक्स. बरामद किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कार्यभार संभालने के बाद ही नशों के साथ कतई लिहाज़ न बरतने की नीति अपनाई है और पहली अप्रैल 2022 से 13 जुलाई 2023 तक एन. डी. पी. एस. एक्ट के अधीन 16,554 केस दर्ज किये गए हैं और 22,349 तस्कर गिरफ़्तार किये गए हैं। भगवंत मान ने बताया कि समर्थ अथारटी ने नशा तस्करी के 66 मामलों में 26.72 करोड़ रुपए की जायदाद ज़ब्त की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रीवैंशन आफ इलीसिट ट्रैफ़िक इन नारकोटिक ड्रग्गज़ एंड साईकोट्रोपिक सबसटेंसज़ (पी. आई. टी. एन. डी. पी. एस.) एक्ट- 1988 के अंतर्गत एक सलाहकारी बोर्ड का गठन किया गया और सम्बन्धित अथारटी के पास सौंपने के लिए प्रस्ताव पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत संतोषजनक बात है कि साल 2022 के दौरान पंजाब में एन. डी. पी. एस. एक्ट के मामलों में सज़ा की दर 80 प्रतिशत रही है, जो देश में सबसे अधिक है। भगवंत मान ने आगे कहा कि राज्य में ओट क्लीनकों की संख्या बड़ा कर 528 कर दी गई है जिनमें जेलों में खोले गए 16 क्लीनिक भी शामिल हैं जो जमीनी स्तर पर नशां के पीड़ितों को नशा छुड़ाओ सेवाएं प्रदान करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ओट क्लीनकों की तरफ से दवा लेने आने वाले मरीज़ों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिससे नशा छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान यह मरीज़ अपनी साधारण ज़िंदगी बिता सकें। उन्होंने कहा कि नशे से पीड़ित 9 लाख मरीज़ ओट क्लीनकों और नशा छुड़ाओ केन्द्रों से इलाज करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नशों की हरेक बरामदगी की पुख़्ता जांच के द्वारा नशों की सप्लाई चेन के सारे सुराग ढूँढने पर अधिक ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि नशों के ख़ात्मे के लिए हरेक पुलिस थाने/ आबादी/ गांव के लिए इलाका अधारित रणनीति घड़ी गई जिससे नशों की समस्या को ख़त्म किया जा सके। भगवंत मान ने कहा कि राज्य भर में गाँवों को नशा मुक्त करने के लिए पंचायतों को भी साथ जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशों के खि़लाफ़ नौजवानों को जागरूक करने के लिए गाँवों की पंचायतों मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे नशों की समस्या ख़त्म करने के लिए राज्य को नौजवानों की असीमित ऊर्जा को अच्छी तरफ़ लाने में मदद मिल रही है। भगवंत मान ने आगे कहा कि जिलों में नशों के अधिक प्रभावित स्थानों की शिनाख़्त करके नशों पर काबू पाने और नशा तस्करी ख़त्म करने के लिए आई जी/ ए. डी. जी. पी. / स्पेशल डी. जी. पी. के रैंक वाले पुलिस अफसरों की निगरानी अधीन समूचे राज्य में नाकाबंदी और तलाशी कार्यवाहियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि डार्कनैट, क्रिपटो करैंसी, नशों सम्बन्धी कानून को लागू करने और इन्टरनेट के बारे जांच अधिकारियों और जी. ओज के लिए विशेष ट्रेनिंग सैशन करवाए जा रहे हैं।

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