होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़): गत दिवस माता चिंतपूर्णी जी के नवरात्रों के दौरान जिन संस्थाओं ने पाबंदी के बावजूद सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग किया उन पर जिला प्रशासन को कार्यवाही करनी चाहिए ताकि अगले साल से पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्र में गंदगी न फैले और लोग भी इसके प्रति जागरुक हों। यह मांग जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हरीश आनंद ने कई लंगर संस्थाओं द्वारा फैलाई गई गंदगी पर चिंता व्यक्त करते हुए की। उन्होंने कहा कि आस्था में डूबे भक्तों को पर्यावरण के प्रति भी अपना फर्ज नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबंदी होने के बावजूद प्लास्टिक के गिलासों तथा प्लास्टिक का डिस्पोज़ेवल प्रयोग होना सरकारी तंत्र पर भी सवाल खड़े करता है, क्योंकि अगर प्रशासन ने चैकिंग के लिए टीमों का गठन किया था या लंगर कमेटियों के साथ बैठक में इस बात को सुनिश्चित किया था कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक का कोई प्रयोग नहीं करेगा तो फिर इतनी बड़ी मात्रा में इनका प्रयोग हो कैसे गया।
पहाड़ी क्षेत्र में खाई में फेंकी गई गंदगी को साफ करने के लिए भी प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे तथा अगले साल पूरी सख्ती से सफाई व्यवस्था के लिए बनाए नियमों को लागू करने हेतु इसी साल से तैयारी कसनी चाहिए। हरीश आनंद ने प्लास्टिक का प्रयोग करने वाली संस्थाओं से भी अपील की कि वह लंगर लगाकर जहां श्रद्धालुओं व यात्रियों की सेवा करती हैं वहीं वह पर्यावरण संरक्षण के लिए सफाई का भी विशेष ध्यान रखें। हरीश आनंद ने कहा कि प्लास्टिक के पानी वाले गिलास पर उसे बनाने वाली कंपनी की डिटेल होगी तथा प्रशासन को चाहिए कि वह कंपनी को भी नोटिस जारी और उनके गोदाम एवं स्टोर आदि की जांच करवाए।
इतना ही नहीं जो लोग गाडिय़ों या टेम्पो आदि में आकर सडक़ किनारे खड़े होकर लंगर लगाकर चलते बनते हैं, उन पर भी कार्यवाही का प्रावधान किया जाए। क्योंकि, ऐसे लोग अधिकतर कुल्फी या प्लास्टिक की पैकिंग में बंद कोई न कोई फूड आइटम श्रद्धालुओं में बांटकर गंदगी को फैलाने का बड़ा कारण बनते हैं तथा इनके ट्रैफिक जाम की समस्या से भी रागहीरों को जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को इस विषय पर किसी के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए। क्योंकि, लंगर कमेटियां तो लंगर लगाकर चली जाती हैं, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र में हमारे द्वारा फैलाई गंदगी पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करती है। जिसके लिए कड़े कदम उठाना समय की मांग है।