हम संस्कार से मनुष्य को जैसा चाहे वैसा बना सकते हैं: साध्वी कृष्णा भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्टः गुरजीत सोनू। ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी कृष्णा भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि आज सभी मानव अपने को पूर्ण बनने की अभिलाषा रखते हैं और रखना भी चाहिए, जो वर्तमान समाज के लिए एवं स्वयं के लिए अत्यन्त उपयोगी एवं महत्पूर्ण है। संसार में सभी वस्तुओं की यही दशा है। लोहा जिस रूप में खान से निकलता है। उसे देखकर कोई आशा भी नहीं कर सकता, कि यह वस्तु हमारे बड़े काम की होगी, किन्तु बड़े बड़े कारखानों द्वारा पहले जिसका दोषमार्जन होता है तथा कुशल कारीगरों से भिन्न-भिन्न रूप दिलवाकर तेज धार आदि दिलाकर अतिशयाधान अर्थात् विशेषता उसमें उत्पन्न की जाती है, फिर ही उसे उपयोग में लाया जाता है, तब वह सुसंस्कृत लोहा हमारे लिए सभी प्रकार से उपयोगी सिद्ध होता है। जिस प्रकार आज अनुदिन नये नये आविष्कार बड़े गर्व के साथ भारतीय कौशल सम्पन्न कारीगर करते हैं, ठीक उसी प्रकार प्राचीन भारतीयों को भी यह अभिमान था कि हम संस्कार से मनुष्य को जैसा चाहे वैसा बना सकते हैं। इस प्रकार हमारे जीवन में इन संस्कारों का आध्यात्मिक महत्त्व तो अत्यन्त उत्तम है, परन्तु इस वैज्ञानिक तथा तार्किक युग में उत्पन्न मानव-जाति के लिए भी इसे समझना एवं समझाना अत्यन्त आवश्यक है।

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अंत में साध्वी जी ने कहा कि संस्कार बहुत ही जरुरी हैं तभी श्रेष्ठ मानवों व श्रेष्ठ समाज का निर्माण किया जा सकता है। बिना संस्कार के हम बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर अच्छे व्यापारी नेता तो बना सकते हैं पर ये सारे बिना संस्कार के समाज का भला करने की बजाए अनैतिक साधनों द्वारा अपने भले में लग जाएंगे। हमें इस धारणा को छोड़ना होगा कि भक्ति निठल्लू लोगों का काम है। उन्होने कहा कि श्रेष्ठ समाज का निर्माण मानव में भक्ति द्वारा प्राप्त किए संस्कारों द्वारा ही किया जा सकता है यही हमारे महापुरषों का सन्देश रहा है। संस्कारों को ग्रहण करने के लिए किसी ब्रह्मनिष्ठ सतगुरु की शरण में जाना होगा जो हमे ईश्वर का दर्शन करवा के हमे अंतर्मुखी कर दे और हम सुसंस्कृत हो श्रेष्ठ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

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