बिहार में जाति जनगणना देश में समाजिक क्रांति की शुरूआत करेगी: मास्टर महिेंदर हीर  

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। बहुजन एक्शन फ्रंट फार सोशल जस्टिस तथा डाक्टर अम्बेडकर जी के मिशन को समर्पित मास्टर महिन्दर सिंह हीर जी ने बिहार में जाति गणना को देश में समाजिक क्रांति की शुरूआत बताते हुये यह जाति गणना सारे देश में लागू करने के लिए समूह बहुजन समाज को एक आवाज़ तथा एक प्लेटफार्म पर इक्ट्ठे होकर संघर्ष करने का बुलावा दिया है। श्री हीर ने इस का विरोध करने तथा आर्थिक जन-गणना का ढिंडोरा पीटने वालों को करारा जवाब देते हुये कहा कि भारत देश में जातिवाद सिस्टम चल रहा है तथा इसमें कोई आर्थिक पैमाना तय नही किया गया कि किसी के पास कितनी धन-दौलत, जायदाद तथा और कितने आमदन के साधन चाहिए जबकि 85 प्रतिशत बहुजन समाज को शिक्षा, रोज़गार तथा आमदन के स्रोतों से वंचित रखा गया है। इस देश में जात-पात सिस्टम में जकड़े साधन संपर्क लोगों के साथ भी जात-पात के हिसाब से नीचे दर्जे का व्यवाहर किया जाता है। इस कारण ही बाबा साहिब डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान में सब के लिए बराबर शिक्षा, रोज़गार, मकान, सेहत सहलतें तथा बराबर न्याय का हक दिया है।

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उन्होंने बताया कि देश के 10 प्रतिशत पूंजीपतियों/कार्पोरेटरों के पास देश की धन-दौलत, जायदाद तथा नौकरियों में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है पर 90 प्रतिशत गरीब लोगों के पास देश की 10 प्रतिशत धन-दौलत, जायदाद तथा नौकरियों में हिस्सेदारी है। यह खाई बहुत बड़ी है। इसको जल्दी से खत्म करना ज़रूरी होगा। समाजिक नेता मास्टर महिन्दर सिंह हीर ने बड़े दुख से यह भी बताया कि अगर इन्सान जात-पात से दुखी होकर मन के सकून के लिए कोई मानवता वाला धर्म अपनाता है तो सांप्रदायिक लोग उन धर्मों में दंगे-फसाद करवाकर मानवता को अपमान पहुंचाते है। श्री हीर ने कहा कि जाति गणना से यह पता लगाना जाना चाहिए कि किस जाति की गिनती के मुताबिक उसके पास न्याय के क्षेत्र में सरकारी संस्थायें, उन्नति के क्षेत्र में कितनी नौकरियां हैं, तब इससे पता लगेगा कि पिछड़ी जातियों की गिनती बिहार में 63 प्रतिशत, अनुसूचित $ जन-जाति की गिनती 72 प्रतिशत होते हुये भी अधिकार नामात्र हैं।

उन्होंने पंजाब की उदाहरण देते हुये बताया कि इस प्रांत में एस.सी. की आबादी 36 प्रतिशत होने के बावजूद नौकरियों तथा राजनीति में 25 प्रतिशत की भागीदारी है जबकि पछड़ी जातियों की आबादी 35 प्रतिशत होने के बावजूद भी हर विभाग में 8 या 10 प्रतिशत की भागीदारी है तथा राजनीति में तो हर सियासी पार्टी इस वर्ग के 7 या 8 एम.एल.ए. बनाकर इस वर्ग को मूर्ख बना रही है। श्री हीर ने ज़ोर देकर 85 प्रतिशत बहुजन समाज को आवाहन करते हुये कहा कि आओ अब जितनी किसी की भागीदारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी का उद्देश्य रखकर संघर्ष करें ताकि इस समाज के क्रांतिकारी महापुरूषों का सपना पूरा हो सके।

उन्होंने यह भी बताया कि महात्मा गौतम बुद्ध जी ने बहुजन हिताये, बहुजन सुखदाये का संदेश दिया पर हमारे समाज के स्वार्थी तथा कुर्सी के लालची लीडरों ने इस को सर्वजन हिताये में बदल दिया जबकि महात्मा जोती बा राओ फूले बाबा साहिब डाक्टर अम्बेडकर जी तथा काशी राम जी ने भी बहुजन समाज का संदेश दिया जिसमें से 85 प्रतिशत लोगों की शमूलियत होती है पर हमारे समाज के स्वार्थी लीडर जाति पर आधार पर बांटकर राजनीतिक संघर्ष कर रहे हैं। फिर हम अपने आपको उनके फॉलोअर मानते हैं जिन्होने ’’बहुजन’’ का संदेश दिया है जो कि 85 प्रतिशत जनता के साथ धोखा है। उन्होंने लीडरों को अपना रवैय्या बदलने की सलाह दी।

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