महर्षि वाल्मीकि जी ने श्री राम को दिया मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का नाम: नरेश पंडित

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढ़िया। बजरंग दल पंजाब प्रदेश के पूर्व अधक्ष्य व विहिप जालंधर विभाग के अधक्ष्य नरेश पंडित ने कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन से लोगों में आपसी भाईचारे व प्यार-प्रेम की भावना पनपती है। युवाओं में अच्छे संस्कार पैदा होते है। उन्होंने लोगों से समय-समय पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करने का आह्वान किया। नरेश पंडित कहा कि धार्मिक आयोजनों से क्षेत्र में खुशहाली के साथ समृद्धि आती है। नरेश पंडित आम आदमी पार्टी के सोशल मिडिया इंचार्ज विकास मोमी द्वारा भगवान वाल्मीकि जी के प्रगट दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान विकास मोमी और उनकी टीम द्वारा बजरंग दल नेताओ को सिरोपा भेंट कर सन्मानित किया गया। इस दौरान भगवान वाल्मीकि का आशीर्वाद लेते हुए नरेश पंडित ने उपस्थित लोगो से कहा की वे सत्य व धर्म का प्रचार करते हुए गुरु के दिखाए मार्ग पर चलें।

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उन्होंने कहा कि भगवान महर्षि बाल्मीकि के जीवन का सन्देश अपने जीवन में उतारना और उन्हे जन-जन तक पंहुचाना आज के समय की सबसे बडी आवश्यकता है। उन्होने सम्प्रदाय और जाति से दूर सभ्य समाज की परिकल्पना दी।नरेश पंडित ने महर्षि बाल्मीकि के जीवन के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि हमे भगवान राम के आचरण एवं समाज के प्रति समरसता एवं प्रेम भाव को अपने जीवन में उतारना जरूरी है। कुछ लोग जाति का भेदभाव फैलाकर समाज में जहर घोलने का कार्य कर रहे हैं। इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है, जिसको सर्व समाज को पहचानना होगा। उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि केवल रामायण के रचियता ही नही वरन आदि कवि भी हैं। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य भगवान श्रीराम के जीवन के अनुसार जीवन जीने लगे तो समाज से भेदभाव एवं छुआछूत को जड़ से मिटाया जा सकता है। विश्व हिंदू परिषद ने 1969 में कर्नाटक के उड़प्पी में हिंदू समाज के प्रमुख संतों एवं धमाचार्यों के साथ मिलकर इसी भेदभाव को समाप्त करने हेतु तीन दिवसीय कार्यक्रम किया था तब से लेकर आजतक विश्व हिंदू परिषद इस प्रकार के विषयों को लेकर समाज के बीच जाता रहा है ताकि समाज के बीच फैली इस विषमता को समाप्त किया जा सके।

बजरंग दल के जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया ने कहा कि महर्षि बाल्मीकि ही वह पुण्यात्मा थे। जिन्होंने प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रूप में समाज में स्थापित किया। इनके द्वारा रचित पवित्र महाकाव्य वाल्मीकि रामायण द्वारा ही भगवान राम की ख्याति जन-जन तक पहुंची। ब्रह्मा जी के मानस पुत्र व महा कवि, महर्षि वाल्मीकि ने सनातन समाज को ही नहीं वर्ण सम्पूर्ण मानवजाति को एक मर्यादित व समाज समर्पित जीवन जीने की जो कला अपने महाकाव्य रामायण द्वारा सिखाई है। वो अन्यत्र कहीं नहीं मिलती। हमें ऐसे महान व्यक्तित्व को ईश्वर तुल्य मानना ही चाहिए और उनके जीवन दर्शन से अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने भगवान महर्षि प्रकट उत्सव की सभी को शुभकामनाएं दी एवं भगवान महर्षि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा आज सर्व समाज को भगवान महर्षि की लिखी हुई पवित्र रामायण का अध्ययन करने एवं सत्कर्म के रास्ते पर चल कर अपना योगदान देने की आवश्यकता है। वालिया ने हिंदू समाज की एकजुटता के लिए आह्वान किया और कहां समाज की एकजुटता ही हिंदू समाज को मजबूती प्रदान करती है और छुआछूत को समाज के लिए सामाजिक कलंक।

वालिया ने कहा भगवान महर्षि वाल्मीकि ने हर मोड़ पर आदर्श निर्णय लेने का संदेश दिया रामायण में यह संदेश दिया है कि जब अत्याचार के विरुद्ध शांति के सभी प्रयास विफल हो जाए तो अंतिम विकल्प के रूप में आतंकवादी रूपी अत्याचार का समूल नाश करने की आवश्यकता है भगवान महर्षि बाल्मीकि आध्यात्मिक के क्षेत्र में पहले इस लोक की रचना करके मानवता को ज्ञान का मार्ग दिखाया।वालिया ने बाल्मीकि समाज की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा भगवान महर्षि के वंशज बाल्मीकि समाज आज भारतीय संस्कृति को बनाए रखने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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