स्व. ओंकार के माता-पिता का आरोप, पेपर मिल की लापरवाही से गई बेटे की जान

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। मेरे बेटे की ऑन ड्यूटी तबीयत खराब हुई थी और दो दिन के उपचार के बाद पी.जी.आई. में उसने दम तोड़ दिया था। वह क्वांटम पेपर मिल सैला में कंडे पर कम्प्यूटर क्लर्क का काम करता था। मेरे बेटी की मौत मिल वालों की लापरवाही और उसका समय पर उपचार न करवाने के चलते हुई है। इसलिए मुझे किसी तरह का मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि पेपर मिल वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी परिवार के व्यक्ति के साथ ऐसा न हो। उक्त बात गांव टूटो मजारा निवासी चमन लाल एवं उनकी पत्नी गुरमीत कौर ने भरे मन से पत्रकारों के समक्ष कही।

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इस दौरान चमन लाल ने बताया कि वह जापान में रहते हैं व बेटे के निधन का समाचार मिलने पर वहां से आए हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर उसका बेटा ओंकार सिंह व पत्नी रहते हैं। उनका बेटा ओंकार सिंह (27) क्वांटम पेपर मिल सैला में पिछले 7 माह से कंडे पर कम्प्यूटर क्लर्क के तौर पर काम कर रहा था। उन्होंने बताया कि 16 नवंबर 2017 को जब वह काम पर था तो अचानक उसकी तबीयत खराब होने के कारण उसे एक एम्बुलैंस में डालकर अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया गया था। इसके बाद उसने अपनी मां गुरमीत कौर को फोन पर तबीयत खराब होने की जानकारी दी। वह किसी तरह से अस्पताल पहुंची और वह उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल उपचार हेतु लेकर गई, मगर जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो यहां से उसे पी.जी.आई. रैफर कर दिया गया। पी.जी.आई. में 19 नवंबर को ओंकार ने दम तोड़ दिया।

उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया कि पेपर मिल वालों ने उनके बेटे का इलाज करवाना तो दूर उसकी खबर भी नहीं ली तथा न ही उसके संस्कार पर किसी अधिकारी ने आना जरुरी समझा। केवल एक व्यक्ति जरुर आया था, मगर उसने भी किसी तरह की सहानुभति प्रकट नहीं की। चमन लाल व गुरमीत कौर ने बताया कि उनके छोटे बेटे कमलप्रीत की पिछले साल हादसे में मौत हो गई थी तथा अभी वह उसके गम से उभरे भी नहीं थे कि उनकी जिंदगी पर एक और दुखों का पहाड़ गिर गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब पेपर मिल वालों की लापरवाही और वहां फैले हुए प्रदूषण के कारण हुआ है, जिसके लिए पेपर मिल प्रबंधन और अधिकारी जिम्मेदार हैं। चमन लाल ने कहा कि उन्हें किसी तरह का मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि वे पेपर मिल वालों की कथित लापरवाही के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की लापरवाही का शिकार होकर अपनी जिंदगी से हाथ न धो बैठे। चमन लाल और गुरमीत कौर ने भरे मन से कहा कि जिनका बेटा चला गया अब उनके लिए रुपये पैसे की क्या कीमत है। वे तो सिर्फ इंसाफ की मांग कर रहे हैं कि अगर मिल वाले समय पर व उचित उपचार करवाते व उन्हें समय पर इतलाह करते तो शायद ओंकार को बचाया जा सकता था।

दूसरी तरफ मिल के अधिकारी मट्टू राम यादव से संपर्क होने पर उन्होंने बताया कि ओंकार सिंह ने तबीयत खराब होने की बात कही थी तथा बताया था कि उसका इलाज जे.डी. अस्पताल से चल रहा है तो 17 नवंबर को सुबह करीब 6 बजे कंपनी की एम्बुलैंस उसे अस्पताल छोडक़र आई थी और उसकी माता को इस संबंधी सूचना दी गई थी। इसके बाद कंपनी द्वारा उन्हें पूरा कोपरेट किया गया है। उन्होंने बताया कि कंपनी की तरफ से नैचुरल डैथ में जो भी कंपनशेट व उसके ड्यूज़ थे वो उसके पिता को दिए जा चुके हैं तथा पी.एफ. व अन्य प्रकार के जो भी ड्यूज़ होंगे वह भी जल्द ही उन्हें दे दिए जाएंगे। लापरवाही एवं कंपनी के प्रदूषण के कारण ओंकार की मौत हुई संबंधी आरोपों को उन्होंने खारिज करते हुए कहा कि ओंकार की डेथ हार्ट प्राबल्म के कारण हुई है।

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