दिल कहता है मैं भी पंछी बन जाऊं
छू लूं मैं अंबर को
चांद को करु मैं बंद अपनी मुठ्ठी में
दिल कहता है मैं भी पंछी बन जाऊं
हवा से मैं बातें करु
सूरज से करु दोस्ती मैं
दिल करता है मैं भी पंछी बन जाऊं
सुकून से मैं अपनी आशियाना बनाऊं
जात-पात का हर भेदभाव मिटाऊं
अमन का मैं तिरंगा लहराऊं
दिल करता है मैं भी पंछी बन जाऊं
मुश्किलों की चोटी पर मैं विजय पाऊं
तारों की तरह अपने नाम को चमकाऊं
बादलों की तरह हमेशा मुस्कराऊं
दिल करता है मैं भी पंछी बन जाऊं
है आखिरी यही ख्वाहिश मेरी
हिंदुस्तान की मिट्टी में मैं दफन हो जाऊं
रखे दुनिया याद हमेशा मुझे
ऐसे कोई कर्म करके मैं जाऊं
नविता रानी
होशियारपुर।
दिल कहता है मैं भी पंछी बन जाऊं….
Advertisements