होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। किसी भी मरीज का ब्रेन डैड होने के बाद उसके पारिवारिक सदस्यों द्वारा उसके आर्गन दान करके किसी अन्य मरीज को जीवन दान देना सबसे बड़ी मानवता की सेवा के रुप में सामने आ रहा है। हाल ही में पीजीआई के एक डाक्टर द्वारा अपने पिता का ब्रेन डैड होने के बाद उनके आर्गन दान किया जाना संपूर्ण मानव जाति के प्रेरणास्रोत है तथा इस प्रकार के मामलों में यही एक सही कदम कहा जा सकता है। क्योंकि, इंसान के संसारिक यात्रा पूरी करने के बाद समस्त अंग जो किसी दूसरे मरीज के काम आ सकते हैं, अग्नि में जलकर राख हो जाते हैं। यह बात रोटरी आई बैंक एवं कार्निया ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी के अध्यक्ष प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने कही। इस संबंधी आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में श्री अरोड़ा ने कहा कि पीजीआई के डाक्टर के कदम से डाक्टरों के प्रति सम्मान और बढ़ा है तथा उनके पिता के आर्गन से दो मरीजों को नया जीवन मिला है।
इसी प्रकार का एक और प्रेरणादायक मामला एम्स दिल्ली से सामने आया है, जहां पर 3 ब्रेन डैड मरीजों के परिजनों ने उनके आर्गन दान देकर 12 लोगों को जीवन दान दिया है। संजीव अरोड़ा ने बताया कि डाक्टरों के अनुसार ब्रेन डैड एक एसी बीमारी है, जिसमें मरीज की सांसे वैंटीलेटर के सहारे होती हैं और मरीज किसी भी समय संसार को अलविदा कह सकता है। इसी स्थिति में मरीज के आर्गन दान करने से अन्य मरीजों को नया जीवन दिया जा सकता है। लीवर, किडनी, आंखें, दिल व ट्रांसप्लांटेशन किए जाने वाले अंग दूसरे मरीज को डाले जा सकते हैं।
श्री अरोड़ा ने लोगों से अपील की कि जिस प्रकार वह जीतेजी रक्तदान, मरणोपरांत नेत्रदान एवं शरीरदान के साथ जुड़ रहे हैं, उसी प्रकार अगर कोई एसा मरीज हो, जिसका ब्रेन डैड हो तो उसके परिजनों को पूरी हिम्मत के साथ इस प्रकार के फैसले लेकर दूसरों के लिए संजीवनी का कार्य करना चाहिए। रोजाना कई एसे मरीज जीवन की जंग हार जाते हैं, जिन्हें कोई अंग दान में न मिलने से वह जिंदगी की जंग हार जाते हैं। इसलिए ब्रेन डैड मामलों में अंग दान करके इस महायज्ञ में आहुति डालने हेतु भी आगे आएं।
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