होशियारपुर( द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में धार्मिक सभा के दौरान प्रवचन करते हुए मुख्य आचार्य चंद्र मोहन जी ने कहा कि प्रभु की कृपा से हमें योग व भक्ति योग आश्रम में मिल रही है। दोनों चीज एक स्थान पर कम मिलती है। उन्होंने कहा कि योगाचार्य सतगुरु देव चमन लाल जी महाराज कहा करते थे कि हमारे अंदर एक कमजोरी होती है हम सुनना पसंद करते हैं करना नहीं। सुनने वाले भी सुना कर चले जाते हैं करने को कुछ नहीं करते, लेकिन ऐसी बातें योग आश्रम में नहीं होती। यहां पर सुनाते कम है करवाते ज्यादा है।
योग तो यही शिक्षा देता है कि अपने जीवन को सुधारने के लिए कुछ कर्म करना चाहिए। योग के अनुसार हमारे दो शरीर है एक स्थूल और दूसरा सुक्ष्म उसी अनुसार योग कि दो विद्या बना दी एक स्थूल शरीर के लिए एक सूक्ष्म शरीर के लिए। हठ योग कि जो विद्या है वह हमारे स्थूल शरीर के लिए है और राजयोग की जो विद्या है वह सूक्ष्म शरीर के लिए। स्थूल शरीर को हम् काफी समय से जानते हैं सूक्ष्म शरीर को हम देख नहीं पाते है। हठ योग की जो क्रिया है वह स्थूल शरीर को सुखी व स्वस्थ रखने के लिए है। अमृत की एक बूंद पीने से भी हम अमर हो सकते हैं। इसी प्रकार हम एक तरह का प्राणायाम कर लेते हैं 5-7 आसन करने से भी लाभ हो जाता है। सूक्ष्म शरीर हमारे लिए अधिक महत्व का है। स्थूल शरीर तो भगवान ने 100 साल का बताया है, लेकिन सूक्ष्म शरीर के जीवन की तो गिनती नहीं है 84 का चक्कर बताया है। उसके लिए राजयोग है। हठ योग करना आसान है। राजयोग करना बहुत मुश्किल है। राजयोग के आठ अंग है यम, नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि हमें राजयोग का भी बहुत कुछ करना चाहिए। अन्यथा हमने संसार में आकर क्या किया। संसार में आकर हमारा लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। माया को प्राप्त करना नहीं। जिन्होंने माया प्राप्त करनी है वह योग के मार्ग पर ना चले।