होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की तरफ से समस्त नगर निगमों को एक आदेश जारी करके पेड़ों को बचाने के लिए उन पर लगी तारें एवं उनमें धंसे हुए गार्ड आदि को हटाने को कहा गया था। लेकिन नगर निगम होशियारपुर के अधिकारियों के उदासीन रवैये के चलते शहर के कई मुख्य इलाकों में पेड़ों के छलनी हुए सीनों को देखकर लगता ही नहीं कि अधिकारियों को एनजीटी के आदेशों की कोई परवाह होगी।
इतना ही नहीं एनजीटी ने इस संबंधी 15 अप्रैल तक रिपोर्ट भी मांगी थी। अब आप ही अंदाजा लगाएं कि अधिकारियों ने इस बाबत क्यो रिपोर्ट भेजी होगी, जबकि हकीकत तस्वीरों के माध्यम से आपके सामने है। कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर जिम्पा के गृह शहर में पड़ती नगर निगम के अधिकारियों का यह हाल है तो स्वभाविक सी बात है कि अधिकारी वर्ग को सरकार या मंत्री की साख से कोई लेना देना नहीं है। हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि नगर निगम होशियारपुर के कुछेक अधिकारियों की कार्यप्रणाली कुछ इस प्रकार की है कि जैसे उन्हें किसी ने ट्रेनिंग दे रखी हो कि सरकार का अक्स खराब करने का कोई मौका न छोड़ा जाए ताकि लोकसभा चुनाव में लोग अधिकारियों को नहीं बल्कि मंत्री व सरकार को कोसें।
जिसका सीधा असर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार के चुनाव प्रचार एवं उसकी जीत पर पड़ सकता है। सवाल यह है कि जिन अधिकारियों पर एनजीटी के आदेश का कोई असर नहीं दिख रहा तो उन्हें सरकार या मंत्री के निर्देशों की क्या परवाह होगी। यहां एसा कहना भी गलत नहीं होगा कि एनजीटी के आदेशों को टिच भी नहीं जानते मंत्री के शहर के उदासीन अधिकारी। इस बारे में अगर किसी अधिकारी से बात की जाए तो उनका एक ही रटा रटाया जवाब होता है कि कार्यवाही की जा रही है। लेकिन जमीनी स्तर पर नतीजा वही ढाक के तीन पात। अब देखना यह होगा कि नगर निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कैबिनेट मंत्री क्या कदम उठाते हैं ताकि चुनाव में डैमेज कम से कम हो। अन्यथा…?