हैरीटेज के चक्कर में कामकाज हुए ठप्पः दुकानदारों ने निगम अधिकारियों के प्रति जताया रोष

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। करीब दो साल पहले शहर के डब्बी बाजार, सर्राफा बाजार एवं छत्ता बाजार को हैरीटेज बाजार बनाने की कवायद तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा द्वारा शुरु करवाई गई थी तथा सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर जिम्पा ने इस काम को आगे बढ़ाते हुए इसके टैंडर आदि जैसी औपचारिकताएं पूरी करवाकर कार्य शुरु करवाया। लेकिन इतने समय के बाद भी धीमी गति से चल रहे कार्य को लेकर उक्त बाजारों के दुकानदारों में रोष बढ़ता जा रहा है। पहले तो फायर टेंडर लगाने एवं उसकी टैस्टिंग को लेकर पेंच फंसा रहा तथा अब जबकि वह पूरा हो चुका है तो बाजार में कोटा स्टोन लगाने का कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते बाजार पूरी तरह से उखाड़े हुए हैं और वहां से आना जाना भी मुश्किल बना हुआ है। इतना ही नहीं धीमी गति से चल रहे कार्य के कारण दुकानदारों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है तथा उनका कहना है कि अधिकारी वर्ग तो सरकार से हर माह मोटा वेतन ले रहा है और दुकानदारों की समस्या उन्हें दिखाई नहीं देती।

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दुकानदारों ने रोष व्यक्त किया कि थोड़े दिन पहले बाजार में नगर निगम में कार्यरत हुई नई अमिशनर कुछेक अधिकारियों के साथ बाजार का दौरा करने आईं थीं और उस दौरान उन्होंने दुकानदारों से बात करनी भी जरुरी नहीं समझी तथा और तो और वार्ड पार्षद को भी साथ लेना उनके द्वारा जरुरी नहीं समझा गया था। जिसके चलते वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। दुकानदारों ने कहा कि वे समझते हैं कि जो काम हो रहा है उसे करने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन अधिकारी वर्ग को कम से कम ये तो बताना चाहिए कि आखिर उन्हें और कितना सब्र करना पड़ेगा तथा उनका जो काम प्रभावित हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी किसकी है। दुकानदारों ने कहा कि उन्होंने इस बाबत कई बार मेयर साहब से बात की है और मेयर साहब ने उन्हें काम जल्द पूरा होने का भरोसा जरुर दिया है तथा वार्ड पार्षद भी उनके दर्द को समझते हैं। लेकिन अधिकारी वर्ग तो उनसे नज़रे भी नहीं मिलाता, क्योंकि उनके पास उनके सवालों का कोई जवाब नहीं है।

उन्होंने कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर जिम्पा से मांग की कि काम में ढील एवं उदासीनता बरतने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए तथा अगर काम में तेजी नहीं लाई जाती तो आने वाले लोकसभा चुनाव में उन्हें सोचना पड़ेगा कि वे आखिर ’आप’ को वोट क्यों करें ? उन्होंने यह भी मांग की कि निगम के उच्चाधिकारियों को भी निर्देश जारी किए जाएं कि वह वेतन लेने तक ही सीमित न रहें बल्कि जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनकर उनका हल भी करें। अन्यथा उनकी अनदेखी का खामियाजा आने वाले समय में सत्ता पक्ष को भुगतना पड़ेगा। दुकानदारों ने कहा कि वह जानते हैं कि काम मुकम्मल होने के बाद बाजार की सुन्दरता बढ़ जाएगी, लेकिन अधिकारियों की ढील के कारण उनका जो नुकसान हुआ है उसके लिए सरकार से मुआवजा भी दिलाया जाए ताकि वह भी अपना घर एवं परिवार पाल सकें।

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