होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब में फसलों के अवशेषों जैसे गेहूं की नाड़ व धान को पराली को जलाने के रुझान को रोकने के लिए पंजाब सरकार व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर लगातार प्रयास किए जा रहे हैंं। जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं और किसान वातावरण विरोधी इस गतिविधि से दूर हो रहे हैं। कुछ ऐसे किसान भी है जो काफी लंबे समय से फसलों के अवशेषों को आग लगाकर अच्छा झाड़ प्राप्त कर कमाई कर रहे हैं। इनमें से एक हैं गांव तग्गड़ खुर्द का प्रगतिशील किसान शांति सरुप।
यह किसान पिछले 10 वर्षों से फसलों के अवशेषों का खेतों में ही प्रबंधन कर गेहूं धान के साथ-साथ समय की जरुरत मुताबिक सब्जियों की काश्त कर रहा है।
शांति सरुप ने बताया कि वह करीब 6.5 एकड़ रकबे में खेती करते हैं, जिनमें 2 एकड़ पानी की बचत के लिए वह धान की सीधी बिजाई भी करता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के दौरान कृषि विभाग के सहयोग से सब्सिडी पर जीरो टिलेज ड्रिल प्राप्त कर उसने धान के पराल में ही कम बहाई कर गेहूं की बिजाई कर खेती खर्चे कम किए हैं। इस वर्ष उसने कोआप्रेटिव सोसायटी बिसनपुर के कस्टम हाइरिंग सैंटर से मल्चर किराए पर लेकर पराली का खेतों में ही प्रबंधन किया।
किसान शांति सरुप ने अन्य किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि पराली को खेतों में ही बिखेरने से नदीन नाशक, कीटनाशक, खादों का खर्चा कम होने से खेती उत्पादन में भी वृद्धि होती है व वातावरण भी साफ सुथरा रहता है।