रथ यात्रा के उपलक्ष्य में इस्कान ने निकाली 15वीं संध्या फेरी

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढ़िया। 29 जून को होने वाली रथ यात्रा के उपलक्ष में शनिवार को इस्कान कपूरथला की  ओर से पंद्रवी संध्या फ़ेरी  बड़ी ही धूमधाम से निकाली गई।   इस संध्या फेरी का आयोजन नवाब कपूर कॉलोनी के भक्तों के द्वारा किया गया!  भगवान श्री श्री कृष्णा बलराम के पवित्र  महामंत्र  गायन  में झूमते गाते  भक्तों का सैलाब देखने को मिला। जिससे पता  चलता है कि  भगवान की रथ यात्रा को लेकर   शहर  वासियों के हृदय में असीम  उत्साह  है।

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 भगवान श्री श्री कृष्णा बलराम तथा श्री जगन्नाथ जी की सुंदर  पालकी के दर्शन करके भक्तों ने   उत्साह तथा श्रद्धापूर्वक  भगवान के नाम की जय जयकार की। पदम पुराण में कहा गया है कि  जो भगवान के रथ तथा पालकी के आगे भावपूर्ण नृत्य करता है , उसके कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं । ऐसा ही सुंदर नृत्य कल नबाव कपूर कॉलोनी में भक्तों द्वारा पालकी के समक्ष किया गया। मोहल्ले वालो ने पुष्प वर्षा के साथ  भगवान का   भवय स्वागत किया। अनेक प्रकार के व्यंजन तथा स्वादिष्ट खाद्य पदार्थो  का भोग भगवान को अर्पित किया गया तथा भक्तों में बांटा गया!   संध्या हरिनाम   का  शुभारंभ श्री कैली गोयल, रिंकू गोयल जी के  निवास स्थान से  किया गया।

इस संध्या हरिनाम फेरी की समाप्ति आरती श्री हनी गुप्ता, शाइना गुप्ता जी के निवास स्थान पर बड़ी ही धूम धाम से हुई । भगवान जगन्नाथ जी की कथा का गुणगान करते  हुए  इस्कॉन कपूरथला के   नीरज  अग्रवाल ( नकुल दास) जी ने  भक्तों को भगवान की वाणी का संदेश देते हुए बताया कि  भगवान जगन्नाथ जी की गोल आंखें हैं और उन पर पलकें भी नहीं है तथा  भगवान  जगन्नाथ जी  अपनी आंखों को कभी झपकते ही नहीं , इसका  कारण ये है कि भगवान जगन्नाथ जी नही  चाह्ते कि कोई भी  भक्त उनकी  क्रिपा दृष्टि से  वंचित रह जाये , उनकी  आखे 360 डिग्री की  तरह गोल  घुमती है.  जिससे हर कोई भगवान जगन्नाथ जी की कृपा प्राप्त कर  पाता है।  इसलिए भगवान घर-घर जाकर अपने सभी भक्तों पर प्रेम भरी कृपा दृष्टि डालते हैं तथा उनके अनेक दुखों को हर लेते हैं तथा अपने भक्तों की हर प्रकार की सेवा को स्वीकार करते हैं!

आगे बताते हुये  नकुल दास जी  ने  कहा की इस ब्रमांड की सबसे पहली रथ यात्रा तब हुई थी जब भगवान् श्री कृष्णा अपने बड़े भाई बलदाऊ, बहन सुभद्रा और सभी द्वारिका वासिओं के साथ कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में स्नान करने गये थे तो वहां पर गोपियां भी आई हुई थीं। गोपिओं ने बोला आप हमे बोल कर गये थे की में बहुत जल्दी वापिस आ जाऊँ गा परन्तु आप नहीं आये। अब जब कृष्ण तुम यहाँ तक आहि गये हो तो हम तुम्हें ब्रज में अवश्य लेकर जाएंगी। तो भगवान् कृष्ण उनकी यह प्रार्थना को मना नहीं कर सके। तो तीनों भाई बहन रथ पर स्वार हो गये और गोपिओं ने रथ से घोड़ों को निकाल दिया और स्वंम को बाँध लिया। और भगवान् के रथ को खींच कर ब्रज में ले गईं। इसी प्रकार हम सबने भी रथ यात्रा के दिन भगवान् के रथ का रस्सा खींचना है और उन्हे अपने हृदय रूपी वृन्दावन धाम में   हमेशा के लिए बसाना है। यहीं से पता चलता है की हमें भगवान् की भक्ति अनन्य भाव से करनी चाहिए। प्रभुजी ने श्रीमद भगवदगीता से बताया  की अगर हम भगवान् की अनन्य भाव से भक्ति करते हैँ तो उससे हमें क्या लाभ हो सकते हैँ।

*अनन्याश्र्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते*, *तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् || २२ ||*

तातपर्य : किन्तु जो लोग अनन्यभाव से मेरे दिव्यस्वरूप का ध्यान करते हुए निरन्तर मेरी पूजा करते हैं, उनकी जो आवश्यकताएँ होती हैं, उन्हें मैं पूरा करता हूँ और जो कुछ उनके पास है, उसकी रक्षा करता हूँ | आगे उन्होंने बताया की 29 जून को सभी शहर  निवासियो के  सहयोग के साथ भगवान की दिव्य रथ यात्रा निकाली जायेगी ।  रथ यात्रा से पूर्व यह 40 हरिनाम संध्या फेरिओं से हम सभी का हृदय शुद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि भगवान् हमारे हृदय में प्रवेश कर सकें। जिसके  लिये   प्रभु जी बड़े प्रेम से शहर वासियों से निवेदन करते हैं कि हर दिन संध्या हरिनाम  फेरिया में शामिल हो ताकि  रथ यात्रा के  पूर्व  हम शुद्ध प्रेम भाव को ग्रहण कर सके तथा रथ यात्रा वाले दिन दिव्य रथ की रस्सी को खींचकर 84 लाख की योनियों के चक्र को तोड़ते हुए भागवतधाम प्राप्त कर सकें! 

इस पवित्र हरि नाम रूपी भगवान श्री श्री कृष्णा बलराम जी की प्रेम धारा में पूरा शहर भावपूर्ण होता जा रहा है!  भक्तों की संख्या भी बढ़ रही है तथा उनका भगवान के प्रति उत्साह भी इस संध्या फेरी के माध्यम से बढ़ रहा !  कलयुग के दुष्प्रभाव को नष्ट करने में भगवान के पवित्र दर्शन तथा उनके पवित्र नाम का गुणगान ही एकमात्र साधन है!

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