मतदान को बचे सिर्फ 5 दिन: सुजानपुर में कौन आगे, कौन पीछे

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्टः रजनीश शर्मा। हमीरपुर सुजानपुर के करीब 75 हजार मतदाताओं के फैसले की घड़ी को सिर्फ अब 5 दिन शेष बचे हैं सुजानपुर में कुल 104 मतदान केंद्रों पर भाजपा के राजेंद्र राणा, कांग्रेस के कैप्टन रणजीत सिंह के अलावा एनसीपी के रविंद्र सिंह डोगरा और तीन अन्य उम्मीदवारों की किस्मत पहली जून को बंद कर देंगे। किस्मत का पिटारा चार जून को जब खुलेगा तो प्रदेश और सुजानपुर की राजनीति का नया इतिहास भी लिखा जाएगा।

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सुजानपुर ने हमेशा आश्चर्यजनक अप्रत्याशित चुनाव परिणाम दिए हैं । यहां जो हारा वह राजनीति से किनारा करते हुए नजर आया। बात चाहे उर्मिल ठाकुर की हो या फिर अनीता वर्मा की,  सुजानपुर की हार के बाद इन दोनों नेत्रियों ने कभी दोबारा चुनाव नहीं लड़ा। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व सीएम धूमल भी 2017 की हार के बाद दोबारा चुनाव न लड़ पाए। यहां कैप्टन रणजीत 2022 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में हारे लेकिन योजनवद्ध  ढंग से उपचुनावों में अब कांग्रेस में जा फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सामने हैं। आइए जानते हैं सुजानपुर में अब तक चुनाव प्रचार में   कौन आगे  है और कौन पीछे।

कैप्टेन  रणजीत को नहीं मिल रहे ब्लॉक कांग्रेस के वर्कर , सुक्खू फैक्टर पर अटकी नैया

राजेंद्र राणा :   सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन चुनाव जीत चुके और एक उपचुनाव में पारिवारिक सदस्य की हार का सामना कर चुके राजेंद्र राणा की चुनाव प्रबंधन  समिति बेहतर कार्य कर रही है।  सुजानपुर भाजपा मंडल के अलावा सुजानपुर भाजपा महिला मोर्चा कांग्रेस से भाजपा में आए राजेंद्र राणा के साथ खड़े हैं । भाजपा प्रत्याशी को भीतरघात का डर भी सता रहा है। इसीलिए जयराम , नड्डा और आर एस एस  की फैज़ सुजानपुर के चप्पे चप्पे में निगरानी कर रही है। राणा को लोगों को यह समझाना पड़ रहा है कि उन्हें कांग्रेस छोड़ भाजपा में क्यों आना पड़ा। हमीरपुर का सीएम का मुद्दा राणा के लिए भारी पड  रहा है। सीएम सुक्खू स्वयं करीब एक दर्जन सभाएं सुजानपुर क्षेत्र में कर राजेंद्र राणा पर तगड़े हमले कर चुके हैं । इन आरोपों के जबाव आने अभी बाकी है। कुल मिलाकर राजेंद्र राणा कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं । बेशक कैंडिडेट उनके खिलाफ कैप्टन रणजीत है लेकिन मुकाबला भाजपा के असंतुष्टों और सीएम सुक्खू के साथ सीधा है। राजेंद्र राणा के गढ़ रहे पटनाऊंन , टोनी देवी, सकांदर, सराहकड, झनियारा उहल बैल्ट इस बार  कुछ हिली हुई है। सुजानपुर नगर भी नाराज चला हुआ है। बीजेपी के भीतरघात का आंकड़ा अगर दस हजार से ऊपर निकल गया तो राजेंद्र राणा की मुश्किलें और बढ़ सकती है जबकि कांग्रेस का कैडर वोट  सुक्खू के नाम पर एकजुट है।

कैप्टन रणजीत राणा: ओपीएस, सैनिक और सुक्खू के कंधे पर सवार कैप्टन रणजीत की भाजपा से कांग्रेस में एंट्री और उपचुनाव में टिकट जिस तरह से फाइनल हुई, उसकी परतें भी अब धीरे धीरे खुलना शुरू हो गई है। कैप्टेन योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस में आए और जीत के अश्वासन के बाद टिकट भी ले आए। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के एक गुट का उन्हें अंदर खाते आज भी भारी समर्थन है। यह भी माना जा रहा है कि यह वही गुट है जिसने एक वोट पीएम और एक वोट सीएम का नारा दिया। जिले का सीएम बचाने का जो करंट लोगों में है कैप्टेन उसी करंट से भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र राणा  को झटका  देने की कोशिश में है। कैप्टन  की मुसीबत यह है कि उनके चुनाव प्रचार के लिए सुक्खू के अलावा कोई बड़ा नेता अभी तक सुजानपुर नहीं आया। सुक्खू के मंत्री भी सुजानपुर से दूर है। सुजानपुर में कांग्रेस संगठन जिला कमेटी के सहारे चला है। ब्लॉक कांग्रेस हॉट सीट पर स्वयं कोल्ड होकर रह गई है। कैप्टन का प्लस पॉइंट यही है कि वह पूर्व सैनिक है।

सैनिकों के वोट उन्हें पहले भी मिले और इस बार भी मिलेंगे। सुक्खू बचाओ के नारे ने उन्हें मुकाबले में बनाया हुआ है। राजेंद्र राणा के मुकाबले उन्हें वर्करों की कमी खल रही है। फिर भी  भाजपा का भीतरघात, जिले का सीएम बचाओ, कांग्रेस का एक जुट कैडर वोट उन्हें राजेंद्र राणा के मुकाबले एक कदम अब तक आगे रखे हुए है। अगले  तीन दिन में कांग्रेस सुजानपुर में कितना अलर्ट रहती है और लय को कितना बरकरार  रख पाती है , जीत हार का अंतर इन तीन दिनों की  मेहनत पर निर्भर करेगा।

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