गलेज इंडिया प्राईवेट लिमिटेड कंपनी के मामले ने लिया नया मोड़

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू/समीर सैनी। युवाओं को बेहतर भविष्य के सपने दिखाकर उनसे पैसे ऐंठने और उनके माध्यम से और युवाओं को अपने झांसे में लेकर फँसाने वाली कथित तौर पर फर्जी कंपनी को लेकर और खुलासे सामने आ रहे हैं। अलग-अलग प्रांतों व शहरों से आए युवाओं ने बताया कि वह मकान लेकर गलेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एम.एस. इंडियन इंटरप्राइजिज, होशियारपुर प्रेंचाइजी) द्वारा रखे गए युवाओं का मामला प्रकाश में आया था। जिसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में कंपनी के तीन मुलाजिमों पर मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी थी। जबकि मामले की पर्तें खुलने से पता चलता है कि कितने बड़े स्तर पर अंतर्राज्यीय मानव तस्करी करके युवाओं जिनमें अंडर ऐज युवा भी शामिल हैं को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है।

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कंपनी के चंगुल से छूटे युवाओं के अनुसार पूरे देश में 300 से अधिक ब्रांचों के माध्यम से करीब 46 लाख युवाओं को कंपनी अपने झांसे में ले चुकी है। कॉस्मैटिक और खानपान से संबंधित वस्तुओं की सेल करने के नाम पर युवाओं को किस प्रकार ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। इसका खुलासा आज प्रैस क्लब में आयोजित पत्रकारवार्ता में कंपनी की पोल खोलने वाले युवाओं ने किया।

इस मौके पर बहुजन समाज पार्टी के दोआबा जोन इंचार्ज भगवान दास ठेकेदार, हल्का इंचार्ज डा. रत्न चंद, जिला अध्यक्ष पुरुषोत्तम लाल हीर तथा एडवोकेट रणजीत कुमार भी मौजूद थे। उक्त नेताओं ने सरकार व पुलिस से मांग की है कि इस कंपनी की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए व युवाओं को झांसे में लेकर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाले कंपनी के असली मालिकों पर मामला दर्ज किया जाए।

इस मौके पर कंपनी की पोल खोलने वाले विशाल निवासी कैथल, हरियाणा ने बताया कि उसे कंपनी की तरफ से एक फोन आया था कि आपने किसी नौकरी के लिए अप्लाई किया था तो आपकी सिलैक्शन कृषि विभाग में हो गई है तथा 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद आपको ज्वाइन करवाया जाएगा। बेरोजगार होने के चलते उसने फोन पर कही बातों पर यकीन कर लिया और उसने ट्रेनिंग के लिए 23 जुलाई 2017 को हिमाचल प्रदेश के गगरेट में ज्वाइन किया। वहां से करीब 3 माह के बाद उसे होशियारपुर यह कहते हुए भेज दिया गया कि वहां पर ट्रेनिंग के बाद आपको विभाग दिया जाएगा। उसने बताया कि युवाओं को इतना डरा कर रखा जाता था कि उन्हें न तो किसी से मिलने दिया जाता था और न ही लोकल किसी व्यक्ति के साथ बातचीत की आज्ञा थी।

इतना ही नहीं युवाओं को पूरा दिन लेक्चर देकर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था और उन्हें और युवाओं को कंपनी के साथ जोडऩे के लिए प्रेरित किया जाता था। मानव चेन बनाकर मोटे मुनाफे के सपने दिखाये जाते थे तथा ट्रेनिंग के समय जो 13 हजार रुपये लिए गए थे, उनमें से करीब 2500 रुपये का खाने पीने व कास्मैटिक का सामान दे दिया जाता था, जिसे बाहर बेचने नहीं दिया जाता था और कहा जाता था कि यह तुम लोग ही इस्तेमाल करोगे। इतना ही नहीं मुफ्त में खाना देने के नाम पर प्रति माह 300-500 रुपये वसूले जाते थे जो वे अपने घर से मंगवा कर दिया करते थे। एक सवाल के जवाब में उसने बताया कि कंपनी की तरफ से उन्हें जैविक खाद की ट्रेनिंग के नाम पर कक्षा में बिठाया जाता था।
इसके अलावा कुरुक्षेत्र, हरियाणा के अंग्रेज कुमार, सुनील कुमार और सोनू कुमार ने भी कंपनी द्वारा मानव चेन बनाकर युवाओं को झांसे में लेने और उनके साथ किए जाते व्यवहार की जानकारी दी।
इस मौके पर ठेकेदार भगवान दास, डा. रत्न चंद, पुरुषोत्तम एवं एडवोकेट रणजीत कुमार ने बताया कि पुलिस ने कंपनी के असल मालिकों पर केस दर्ज करने की बजाए कंपनी द्वारा मुलाजिम दर्शाये गए युवाओं पर मामला दर्ज करके युवाओं के साथ अन्याय किया है तथा इस मामले की गहनता से जांच की जानी बेहद जरुरी है ताकि और गरीब घरों के बच्चे इसके झांसे में आकर ठगी का शिकार न हों और न ही अपना भविष्य दांव पर लगा सकें।
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उधर आज इस संबंध में कुछ युवाओं द्वारा इस मामले को नया मोड़ देते हुए कंपनी के हक में सैकड़ों युवाओं को साथ लेकर थाना सदर का घेराव किया और कहा कि कंपनी के खिलाफ झूठा प्रचार सन्नी डोगरा नाम का एक व्यक्ति जोकि कंपनी में पहले कार्यरत था। उस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने ही कुछ युवाओं को कंपनी के खिलाफ भडक़ाने का कार्य किया जबकि सचाई कोसो दूर है। इस संबंधी जानकारी देते हुए कंपनी के एजेंट मोहन विकटा, अरविन्द परमार व अमन ने बताया कि गलेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कार्य डोर टू डोर है। उन्होंने बताया कि जो युवा कंपनी के खिलाफ झूठा प्रचार कर रहे है वह युवा कंपनी द्वारा दी गई शर्ते पर पूरी तरह सही न उतरने के कारण कंपनी के खिलाफ झूठा प्रचार कर रहे है।
दूसरी तरफ मामले को लेकर होशियारपुर में कंपनी की ब्रांच चलाने वाले अमन ठाकुर जोकि हिमाचल से संबंधित हैं तथा अरविंद पवार जोकि उत्तराखण्ड से संबंधित हैं ने बताया कि उनकी कंपनी रजिस्टर्ड है और वे कॉस्मैटिक एवं खाने पीने की वस्तुओं की सेल करते हैं। इससे ज्यादा वे कुछ नहीं जानते। जब उनसे यह पूछा गया कि इन युवाओं को कौन सी ट्रेनिंग दी जाती है तथा इन्हें कैसे बुलाया जाता है तो वे चुप्पी साध गए। इतना ही नहीं उनके पास कई सवालों के जवाब नहीं थे, जिससे मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा था।

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