होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सामाजिक जागरुकता हेतु कार्यरत संस्था सवेरा ने पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरिंदर सिंह से अनुरोध किया है कि राज्य के अनाथ बच्चों को निशुल्क शिक्षा, भोजन, होस्टल में रहने-सहने की व्यवस्था के साथ-साथ शिक्षण संस्थाओं में दाखिले में एवं राज्य सरकार द्वारा अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान किए जाने की व्यवस्था हेतु कदम उठाए जाएं ताकि यह बच्चे भी समाज की मुख्य धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर देश के विकास में अपना योगदान डाल सकें।
आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में सवेरा के कनवीनर डा. अजय बग्गा ने उक्त बात कही। उन्होंने कहा कि जो बच्चे अपने माता-पिता व रिश्तेदारों के बारे में नहीं जानते और जिनको अपने धर्म तथा जाति का भी पता नहीं है! और तो और अनाथालय में रहकर जीवन व्यतीत करते हुए उन्हें जिन कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
डा. बग्गा ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा महिला एवं बाल विकास विभाग को अनाथालय में रह रहे ऐसे बच्चों को अनाथ होने संबंधी प्रमाणपत्र प्रदान करना चाहिए ताकि बड़े होकर सरकारी सुविधाएं लेने एवं नौकरी के समय इन बच्चों को प्राथमिकता लेने में दिक्कत का सामना न करना पड़े।
डा. बग्गा ने कहा कि देश में महाराष्ट्र पहला राज्य है जहां पर मुख्यमंत्री देवेन्द्रा फडनवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए सरकरी सेवा में 1 प्रतिशत सीटों का प्रावधान रखा है। खुशी की बात यह है कि सरकार का इस गंभीर मामले पर ध्यान खींचने वाली 23 वर्षिय अनाथ बच्ची अमरुता कारवंदे है, जिसने जीवन की कठिनाईयों को महसूस करते हुए भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाया। जिसके परिणाम स्वरुप सरकार ने यह प्रावधान किया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 1993 में महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बना था जिसने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए पी.सी. एवं पी.एन.डी.टी. एक्ट को लागू किया था। इसके बाद यह कानून देश में लागू हुआ था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्रा फडनवीस एवं सरकार को इस प्रावधान के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हुए सवेरा ने पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरिंदर सिंह से आह्वान किया है कि पंजाब में भी इस तरह की व्यवस्था हेतु कदम उठाए जाएं।