जहां विनम्रता है, वहीं भगवान की कृपा है: ज्ञानानंद जी

होशिायरपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति की तरफ से होटल शिराज रिजेंसी में एक दिवसीय सतसंग सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर धर्म स्तम्भ समाज सुधारक महामण्डलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने विशेष तौर से उपस्थित होकर श्रद्धालुओं को गंगा की गंगा से ओत-प्रोत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवद गीता मात्र एक ग्रंथ ही नहीं है, यह पारब्रह्म परमेश्वर का साक्षात प्राणी मात्र के लिए उवोधन है। गीता हमें जीने का रास्ता सिखाती है। उन्होंने कहा कि यदि आप मानसिक रुप से सतसंग में नहीं बैठते तो शारीरिक रुप से बैठने का कोई लाभ नहीं है।

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उन्होंने कहा कि नित्यप्रति हम अपने जीवन में महाभारत की लड़ाई लड़ रहे हैं, कहीं मानसिक वृत्तियों का महाभारत तो कहीं जीवन की परिस्थितियों का महाभारत, बस हमें जीवनरथ को विजय के साथ पार लेकर जाना है। स्वामी जी ने कहा कि गीता हमें कर्म करने को प्रेरित करती है। उन्होंने सुखमय जीवन को जीने का मूल मंत्र देते हुए कहा कि दिन का पहला काम प्रभु का नाम और फिर सारे काम, प्रभु के नाम कर दो। उन्होंने दुर्योधन और अर्जुन का श्री कृष्ण के पास जाने का वृतांत सुनाया। दुर्योधन द्वारा सारी सेना मां लेने पर श्री कृष्ण ने अर्जुन से पूछा कि सेना को दुर्योधन ले गया, अब तुम मुझे लेकर क्या करोगे। तब अर्जुन ने कहा कि जिसके साथ पारब्रह्म परमेश्वर खुद है उसे और क्या चाहिए। इस दौरान महाराज जी ने 18वें अध्याय का वर्णन करते हुए कहा िक कर्म को पूजा बना लाना चाहिए।

इस अवसर पर समिति के प्रधान हरीश खोसला, शाम सुन्दर महेन्द्रू, रमन बब्बर, डा. सुदर्शन अग्रवाल, विभू महाजन, एडवोकेट राकेश मरवाहा, नरिंदर भाटिया, राज कुमार, संजीव अरोड़ा, अश्विनी गैंद, संदीप सैनी, मदनमोहन, बाब भूपेन्द्र सिंह, राकेश शर्मा, डी.के. बब्बर, राजेन्द्र शर्मा, नीलम, ज्योति, स्नेहमयी मां अमृत आनंद जी, केन्द्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला, पूर्व एम.पी. धर्मपाल सभ्रवाल व बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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