होटल में बलात्कार की घटना: एक साल बाद भी सवालों के घेरे में है आरोपियों पर की गई कार्रवाई

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। 3 अगस्त 2017 को होटल में हुई बलात्कार की घटना के एक साल बाद एक बार फिर से यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में तीन आरोपियों के नाम सामने आए थे, मगर हैरानी की बात यह रही कि इनमें से एक आरोपी को ऐसा फंसाया गया कि बाकी दोनों के नाम दूध में बाल की तरह निकाल दिए गए। जबकि कई ऐसे मामले में हैं जिनमें पुलिस ने आरोपी के साथियों को साजिश में शामिल होने की धाराएं लगाकर केस में जोड़ दिया हो, मगर इस मामले में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया, जबकि सूत्रों की माने तो सी.सी.टी.वी. कैमरे से प्राप्त फुटेज में कई साक्ष्य सामने आए थे।

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परन्तु बावजूद इसके पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई आज भी सवालों के घेरे में है। जानकारी अनुसार आरोपियों में एक किसी कांग्रेसी नेता का करीबी था और दूसरा फाइनांसर, जबकि तीसरा जिसे मुख्य आरोपी बनाया गया है, वो भी खुद को कांग्रेसी नेता कहता था तथा बहुत सारी दलित जत्थेबंदियों के साथ भी जुड़ा हुआ था। इनमें से कांग्रेसी नेता के करीबी एवं फाइनांस का काम करने वाले को पुलिस ने जांच में बाहर कर दिया और तीसरे आरोपी पर केस दायर कर उसकी धरपकड़ शुरु कर दी थी, मगर आजतक उसे गिरप्तार नहीं किया गया, जबकि वे शहर में देखा जा चुका है। मौजूदा समय में मामला माननीय अदालत में होने के चलते पीडि़ता को इंसाफ की आस बंधी है, मगर हाल ही में कुछ समय पहले उसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच एवं आरोपी की गिरफ्तारी की मांग भी की थी। परन्तु मामला फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस सारे प्रकरण में जहां दो आरोपियों द्वारा अपनी पहुंच लड़ाकर खुद को सफेदपोश साबित करने में सफलता हासिल कर ली गई, वहीं तीसरा आरोपी अदालत में खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए प्रयासरत है व कई प्रकार की तिकड़म भिड़ाई जा रही हैं, मगर मामले के एक साल बाद भी इसे लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है।

गौरतलब है कि पिछले साल 3 अगस्त 2017 को भंगी चो के समीप एक होटल में एक 35 वर्षिय महिला को उसके ससुराल पक्ष के साथ समझौता करवाने का झांसा देकर बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया था। इस दौरान पुलिस के आला अधिकारियों ने खुद मौके पर पहुंचकर घटनाक्रम का जायजा लिया था और पीडि़ता के साथ इंसाफ की बात कही थी। इस मामले में तीन लोगों के नाम सामने आए थे। बाद में जांच में दो के नाम जिनमें एक कथित आरोपी किसी कांग्रेसी नेता का करीबी था तो दूसरा जोकि फाइनांस का काम करता था व कई नेताओं के लिंक में था सफेदपोश साबित हुए या कर दिए गए? मगर एक को मुख्य आरोपी बनाकर केस में उलझा दिया गया। हालांकि जिसे मुख्य आरोपी बनाया गया, वो भी आए दिन किसी न किसी मामले को लेकर विवादों में ही रहता था। फिलहाल सारा मामला माननीय अदालत में होने के चलते इस पर कोई भी टिप्पणी करने से परहेज ही कर रहा है, मगर सवाल ये है कि हाई-टैक मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली एवं कथित आरोपियों की पहुंच से मामला किस प्रकार घुमाया गया यह बात आजतक राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ चौपालों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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