हमीरपुर/दौलतपुर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा रामलीला ग्राउंड दौलतपुर में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गिया। कथा के प्रथम दिवस की शुरूआत श्री होशियार सिंह एवं धर्मपत्नि और सुशील एवं धर्मपत्नी जी ने परिवार सहित पूजन किया। श्री कृष्ण कथा के प्रथम दिवस में परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सुमेधा भारती जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण एक ऐसा व्यक्तित्व हैं। जिसे किसी एक परिभाषा में चित्रित ही नहीं किया जा सकता। कहीं ये चितचोर मुरलीधर हैं, तो कहीं दुष्टदलन चक्रधर कहीं रसिक बिहारी रागी हैं, तो कही परम वीतरागी। कहीं ऐश्वरयुक्त द्वारिकाधीश हैं, तो कही योग के दीक्षादायक महायोगेश्वर । ये ही तो हैं जिन्होंने संसार में एक ओर तो गोप गोपिकाओं के माध्यम से भक्ति विरह की सरस धारा प्रवाहित की, वहीं दूसरी ओर समस्त उपनिषदों को दुहकर गीता रूपी दुग्धामृत अर्जुुन के निमित से संपूर्ण मानव जाति को दिया। माधुर्यपूर्ण प्रेम और धर्म सवमत ज्ञान का अद्भुत मिश्रण हैं श्री कृष्ण।
कथा का महात्वय बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि प्रभु की कथा जीवन की व्यथा दूर करती है। कथा हमें जीवन में प्रभु का सामीप्य प्रदान करती है। मीरा भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थी। मीरा का मन और चित ता भगवान श्री कृष्ण के प्रेम की निराली दुनिया में विहार करता रहता था। पायो जी मैने राम रत्न धन पायो गाकर मीरा बाई जी ने सारे संसार को बता दिया कि उनके श्री गुरू रविदास जी ने उन्हें दिव्य रत्न दे दिया। जिस को प्राप्त कर वह मगन हो गई । मीरा ने कहा कि मेरे गुरूदेव ने मुझे ऐसा ज्ञान दिया,जिससे मुझे संसार की सत्यता ज्ञात हो गई। मुझे कृष्ण का शाश्वत प्रेम प्राप्त हो गया। साध्वी जी ने कथा प्रसंग के माध्यम से बताया कि मनुष्य के भीतर जो विकार हैं उसका कारण मन है। जब तक इंसान का मन विकसित नहीं हुआ तब तक वह किसी समाधन का अंग नही बन सकता।
यदि समाज में परिवर्तन लाना है तो सबसे पहले व्य1ित की चेतना और अंतर मन में परिवर्तन लाना होगा। अध्यात्म द्वारा उसे जागृत करना होगा। कथा में ज्योति प्रज्वलित करने के लिए विशेष रूप से शक्ति मैडम,सषमा,शोमिता परमार,वीना जरिआल, रोहित शर्मा,सुनील परमार,जुगविंदर सिंह,एस.के.नरूला,सुमित चौधरी,रमेश मंगल सिंह राणा,रामपाल,अवतार, पहुंचे। इस कथा में शहर के गणमान्य सज्जन 5ाी उपस्थित थे। साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों के गायन से उपस्थित भगवद् प्रेमियों को आनन्द विभोर किया। कथा का समापन विध्वित प्रभु की पावन आरती से किया गया।