होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। श्री राम लीला दशहरा वैल्फेयर कमेटी की ओर से सीता स्वंयवर के मौके पर मंच पर दर्शाया गया कि किस प्रकार श्री विश्वामित्र अयोध्या में श्री राम और लक्ष्मण को राक्षसों का नाश करने के लिए राजा दशरथ से मांगने आए। यह सुनते ही राजा दशरथ घबरा गए और अपने गुरु विशिष्ठ के पास पंहुचे। उन्होंने ने कहा कि अगर कोई संत किसी से कुछ मांगता है तो उसे दे देना चाहिए। गुरू की आज्ञा का पालन कर राजा दशरथ ने राम और लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेज दिया। यात्रा के दौरान वह जनक पुरी पहुंचे।
राजा जनक को पता चलते ही वो विश्वामित्र जी को लेने आए तथा वहां मौजूद युवकों को देख उनके बारे में पुछा तो विश्वामित्र ने बताया कि वह अयोध्या से आए राजा दशरथ के दुलारे राजकुमार हैं। उस समय राजा जनक ने युवकों को अपनी बेटी सीता के स्वंयवर का आमंत्रण दिया। इस स्वयंवर में कई योद्धाओं ने भाग लिया। श्री राम चंद्र ने गुरू की आज्ञा ले उन्हें धनुष उठाने की आज्ञा दी।
श्री राम ने धनुष को उठा झडक़े में तोड़ दिया तथा यह देखते हुए राजा दशरथ ने अपनी पुत्री का हाथ श्री राम चंद्र को सौंप दिया। इस अवसर पर रणजीत राणा, हरीश भल्ला, शशी डोगरा, दिलबाग सिद्धू कपिल ठाकुर व सभी रामलीला कमेटी के पदाधिकारी शामिल थे।