मोक्ष प्राप्त करने के लिए परमात्मा ने दिया है श्रेष्ठ मानव तन: साध्वी राजविंदर भारती

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर स्थित आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। जिसमें अपने प्रवचनों में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी राजविंदर भारती जी ने कहा प्रयास किए बिन कोई भी कार्य पूर्ण नही होता। राह चाहे कैसी भी कठिन हो, किन्तु यदि आप अपने लक्षय के प्रति समर्पित हैं, उसको प्राप्त करने के लिए दृढ निष्ठा, लग्न व तीव्र इच्छा से प्रयास करते हैं, तो निश्चय ही आप मंजिल को प्राप्त करेंगे।
उन्होंने कहा कि इतिहास में असंख्य लोगों के उदाहरण हैं, जिन्होंने शारीरिक विकृति के बावजूद महान लक्ष्य को प्राप्त किया। कुमारी लेहर गूंगी व अन्धी थी। लेकिन बावजूद इसके वे अनेक भाषाओं और विषयों की रचनाकार बन गई।
सूरदास जी भी अन्धे थेे पर श्रेष्ठ पदों के रचनाकार बन गए। चाण्कय और सुकरात बदसूरत थेे पर इंसान को खूबसूरत जिंदगी जीने की कला सिखा गए और आज भी संसार उनके उपदेशें को याद करता है।

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आगे उन्होंने कहा कि शास्त्र ग्रंन्थ बताते है कि परम पिता ने श्रेष्ठ मानव तन इस लिए दिया है कि हम मोक्ष को प्राप्त करें। मानव जन्म को पाकर यह हमारा परम कर्तव्य बन जाता है के ईश्वर कि प्राप्ति की ओर अग्रसर हों। इसलिए इसके लिए हमें सतत प्रयास करना होगा। उन्होने कहा कि अगर हमारे मन में ईश्वर के प्रति चाह है, प्रार्थना भी है कि तुम मिलो। किन्तु यदि आप अपने कदमों को सतसंग की और नहीं बढाते, तो आप अभी ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकते। आनंद नही पा सकते। एक सोए हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नही करता। आम की गुठली में आम पैदा करने का गुण है, किंतु बिना बोये, बिना पुस्षार्थ के कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता।

अंत में साध्वी जी ने कहा कि हर काम को आप तकदीर पर नहीें टाल सकते। स्वामी विवेकानन्द जी भी इसी बात को कहते है उठो जागो और अपनी संपूर्ण शांति अपने लक्षय को पाने में लगा हो। आखिर यह जीवन है ही कितना तुम यदि संसार में आए हो, तो कुछ तो अन्तर साबित करो, स्वयं में और पेड पौदों और जानवरों में।

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