नई दिल्ली | अगर कोई महिला किसी पर बलात्कार का आरोप लगाती है तो उसका मामला तुरंत दर्ज होना चाहिए लेकिन बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला की हर बात सच हो ये बिना जाँच पड़ताल के मान लेना ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा होना हर वक्त सही नहीं होता, इसलिए इस मामले की पर्याप्त जांच होनी चाहिए और महिला के पास भी अपने ऊपर हुए अत्याचार को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने एक रेप केस की सुनवाई करते हुए अपने फैसले में एक अहम बात कही है।माननीय अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब इसी तरह के बलात्कार के केस की सुनवाई वो कर रही थी, उसमें महिला ने तीन लोगों पर खुद का अपहरण और जबरन रेप करने का आरोप लगाया था, जिसे सही मानते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने रेप का केस दर्ज किया था। जिसके बाद आरोपियों ने सुप्रीमकोर्ट में अपील की थी।कोर्ट ने कहा कि अगर कोई ग्राहक, सेक्स वर्कर से काम लेने के बाद पैसे देने से मना करता है, तो सेक्स वर्कर उस ग्राहक पर रेप केस नहीं कर सकती है।अदालत ने ये फैसला बेंगलुरू के एक बीस साल पुराने मामले में सुनाया है और इसके साथ ही इस मामले के तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। इस केस में महिला की सहेली ने कोर्ट में बयान दिया था कि उसकी दोस्त दिन में नौकरानी का और रात में सेक्स वर्कर का काम करती थी। इस काम के दौरान उसने तीनों आरोपियों के साथ डील की और 1000 रूपए की मांग की, जिसे कि इन तीनों लोगों ने देने से मना कर दिया इसलिए महिला ने इन तीनों पर अपहरण और रेप का केस दर्ज कर दिया।
बलात्कार का आरोप लगाने वाली की हर बात बिना जाँच के मान लेना ठीक नहीं- सुप्रीम कोर्ट
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