सद्गुरू का योग हमारे जीवन में हो जाना सौभग्य का संकेत है: शिष्या साध्वी

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के स्थानीय आश्रम गौतम नगर में सप्ताहिक धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत भजनों द्वारा की गई। अपने प्रवचनों में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री धर्मा भारती जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में सद्गुरू एक विशेष स्थान रखते है। गुरूदेव जो एक पूर्ण सता होते है वह शरीर रूप लेकर संसार में जरूर अवतिरित होते है परंतु वह मात्र शरीर नही हुआ करते बल्कि ईश्वर का साकार रूप होते है ऐसे सद्गुरू का योग हमारे जीवन में हो जाना बडे ही सौभग्य का संकेत है परंतु श्रेष्ठ शिष्य भी वही होते है जो ऐसे सदगुरू के प्रत्येक वाक्य को,अपने जीवन में धारण कर गुरू भक्ति के मार्ग पर चलने का प्रयास करते है। वह शिष्य इस बात को समझने में कत्य चूंक नही करते है कि उनके गुरू की कृपा ही है जो शिष्य को अपनी शरण में लेकर उसे कुछ प्रदान करने ही आती है। गुरू के देने और शिष्य के लेने के मध्य जो सेतु है,वह है-गुरू के वाक्य।

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गुरू के वचन मुखार से निकले शब्द मात्र नहीं होते। वह तो अथाह शक्ति के पुंज हुआ करते हैं जिसका पालन करने में तो संपूर्ण सृष्टि भी आंदोलित हो जाती है। प्रकिृत की समस्त शक्तियां बाध्य हो उठती हैैं। जिस शिष्य ने सदगुरू की कृपा से ब्रह्म का साक्षातकार अपने भीतर में किया हो वह अपने गुरूदेव के वचनों की कीमत को जान पाता है कि ईश्वर का दीदार घट में ही करवा देने वाले सद्गुरू कोई साधारण नही है बल्कि परमात्मा के सवरूप है और यदि उन्होंने हमें सेवा का सुअवसर प्रदान किया हो तो वह हमारे जीवन के कल्याण का ही प्रतीक है इसलिए हम सदैव अपने जीवन में इश्वर के मार्ग पर चलते जाए।

साध्वी जी ने अपने विचारों में आगे बताया कि हमें जीवन में सदभाव बनाए रखना चाहिए और अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए परन्त यह तभी संभव हो पाता है जब ऐसे महापुरष का आगमन हमारे जीवन में होगा और हमारे जीवन के ध्येय जो कि केवल मात्र ईश्वर है,उनसे हमारा मिलन ब्रहमज्ञान प्रदान कर ही हो सकता है।

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