किसान सुरजीत की आविष्कारी सोच ने बना दिया उसे जुगाड़ी किसान, बना प्रेरणास्रोत

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। होशियारपुर के गांव चगरां के प्रगतिशील किसान सुरजीत सिंह की आविष्कारी सोच ने उसे जुगाड़ी किसान बना दिया है, वह कृषि से जुड़े व्यवसायों में संभावनाओं की तलाश करता है और अपने देसी अंदाज में उसे नया रु प दे देता है। यही कारण है कि इस प्रगतिशील किसान को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। यह सम्मान 24 दिसंबर 2010 को उदयपुर में मिला था। वहीं आई.सी.ए.आर की ओर से 12-13 दिसंबर 2010 को को मैसूर में मनाए गए नेशनल इनोवेटरस मीट के दौरान इन्हें जुगाड़ी किसान का पुरस्कार दिया गया।
जिलाधीश ईशा कालिया ने बताया कि कृषि में नई तकनीक अपनाना किसानों के लिए काफी लाभप्रद साबित हो रही है। कृषि में नई तकनीक अपनाने से जहां किसान आर्थिक पक्ष से मजबूत होता है वहीं लेबर की भी बचत होती है। उन्होंने कहा कि कृषि में विविधता समय की मांग है और सुरजीत सिंह जैसे किसान कृषि मेें बदलाव कर इसे लाभप्रद बना रहे हैं जो कि आज के किसानों के लिए मिसाल है। उन्होंने किसानों को फसली चक्र से निकलते हुए वैकल्पिक खेती करने पर जोर देते हुए कहा कि सुरजीत सिंह जैसे प्रगतिशील किसानों को प्रेरणा ोत बना कर बाकी किसान कृषि की आधुनिक तकनीकों को अपनाने को प्राथमिकता दें।
प्रगतिशील किसान सुरजीत सिंह ने बताया कि उसने हाथ से मक्क ी के दाने निकालने वाली मशीन जो कि स्टैंड पर जुड़ी है की खोज की है। इस छोटी मशीन से मक्की की छल्लियों के दाने बड़ी आसानी से निकाले जा सकते हैं। मुख्य तौर पर बिजाई के लिए दाने निकाल कर रखने के लिए यह बहुत ही कारगर मशीन है। इसके अलावा उनकी ओर से अन्य जरु री उपकरणों में बदलाव कर उसे जरु रत अनुसार तैयार किया गया है।
सुरजीत सिंह सिंह बताते हैं कि वे 45 एकड़ में कृषि करते है और जिसमें वे हर तरह की फसल लगाते हैं। वर्ष 2003 में उन्होंने कृषि विभाग के मार्गदर्शन से वर्मी-कंपोस्ट का काम शुरु किया। अब उनके पास 1.5 कनाल रकबे में वर्मी-कंपोस्ट शैड है। उन्होंने बताया कि इन शैडों से करीब 100 टन वर्मी-कंपोस्ट व 1 से 1.5 क्वि ंटल केंचूए प्राप्त हो रहे हैं। आज वे 500 रु पये प्रति क्वि ंटल के हिसाब से वर्मी-कंपोस्ट खाद व 1000 रु पये किलो के हिसाब से केंचूए हिमाचल प्रदेश व पंजाब में बेच रहे हैं। उन्होंने वर्मी- कंपोस्ट में से केंचूए अलग करने के लिए एक छोटी मशीन तैयार की है, जिसका उपयोग कर बड़ी आसानी से केंचूए अलग किए जा सकते हैं। इस मशीन में अलग-अलग साइज की जालियां लगी हुई है। वर्मी-कंपोस्ट व केंचूए अलग-अलग स्थानों से प्राप्त होते हैं, जिससे समय, लेबर की बचत होती है और इस व्यवसाय में काफी लाभप्रद साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि उनका काम ज्यादा होने के कारण गांव के लगभग 30 लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। सीजन के हिसाब से कई बार संख्या 60 तक भी पहुंच जाती है।
सुरजीत सिंह ने बतााय कि उनके 15 के करीब गाय, भैंस व बछड़े हैं। वे इन पशुओं के गोबर व मूत्र से बायो गैस प्लांट व वर्मी-कंपोस्ट तैयार कर रहे हैं। इस समय वे 5 एकड़ में आर्गेनिक फार्मिंग करके लहसून, भिंडी, फ्रांसबिन, खीरा, मक्की, छोले, माह, व अन्य मौसमी फसलें अपने घरेलू उपयोग के लिए पैदा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से बायो गैस प्लांट को जनरेटर सैट से जोड़ा गया है। जिससे चारा कुतरने वाली मशीन चलाई जाती है। बायो गैस प्लांट के उपयोग के लिए लाइट लैंप व गैस से चलने वाला चूल्हा भी चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि में काम करने वाली लेबर गैस चूल्हे का उपयोग कर अपना खाना तैयार करती है और रात को लाइट का भी उपयोग किया जाता है।
सुरजीत सिंह ने बताया कि वे पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से मधुमक्खी पालन, डेयरी फार्मिंग, मशरु म की खेती आदि की ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि पानी की महत्ता को मुख्य रखते हुए उन्होंने अपने खेतों की लैवलिंग लेजर लैवलर से की है। वहीं भूमि के स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए वे मूंगी, माह, मसूर व मटर की काश्त भी करते हैं और भूमि की जांच करवा कर सिफारिश की गई खादों का ही प्रयोग करते हैं। वे कृषि से संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों का दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने इंगलैंड व कुवैत का भी उन्होंने दौरा किया है।
मुख्य कृषि अधिकारी विनय कुमार ने बताया कि प्रगतिशील किसान सुरजीत सिंह को कृषि में नई तकनीक सीख कर उसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए उन्हें ब्लाक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वे आत्मा की गवर्निंग बाडी के सदस्य के अलावा जिला ऊपज कमेटी, फार्मर एजवाईजरी कमेटी पी.ए.यू होशियारपुर, यंग फार्मरज क्लब एंड एनिमल हसबेंडरी पी.ए.यू. लुधियाना, ग्रीन प्लैनट संस्था व गांव चगरां को-आप्रेटिव सोसायटी के सदस्य भी हैं।

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