एल.टी.टी. के कब्जे से मुक्त हुए क्षेत्र में मिला है शक्तिपीठ नागपुसानी मंदिर: अशोक कैंथ

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्रीलंका में रामायण काल से जुड़े साक्ष्य जुटाने और उनकी प्रमाणिकता को कोई झुठला नहीं सकता, क्योंकि लंका में आज भी साक्षात सभी प्रमाण मौजूद हैं तथा वहां की सरकार इन्हें वितसित करने में लगी हुई है। इतना ही नहीं सरकार भी इन्हें संजोये रखने में पूरी निष्ठा से कार्यरत है। एल.टी.टी. से मुक्त हुए क्षेत्र में एक ऐसे क्षेत्र की खोज हुई है, शास्त्रों अनुसार नागापुसानी शक्तिपीठ (सिंघिका) है, जोकि राहू-केतु के माता थी व उनका मंदिर इस स्थान में स्थित है। उक्त जानकारी श्रीलंका से होशियारपुर पहुंचे चीफ रिसर्चर श्रीलंका ग्रुप अशोक कैंथ ने दी।

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श्रीलंका में रामायण काल के साक्ष्य जुटाने में श्री कैंथ नभा रहे हैं अहम भूमिका

उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र जोकि श्रीलंका का करीब 40 प्रतिशत क्षेत्र था एल.टी.टी. के कब्जे में था और इसके मुक्त होने के बाद शास्त्रों में अंकित जानकारियों को जब खंगाला गया तो उक्त स्थान का पता चला है, जोकि वहां के समस्त समुदायों की आस्था का केन्द्र है। उन्होंने बताया कि बड़े दुख की बात है कि जहां पर श्रीराम अवतरित हुए वहां पर उनके साक्ष्य पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, जबकि श्रीलंका की सरकार रामायण काल से जुड़े समस्त साक्ष्यों को संजोये रखने के लिए कार्यरत है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका की संसद में विभीषण का चित्र लगा हुआ है, जबकि हमारे यहां संसद में भगवान का चित्र लगना तो दूर उनके जन्म स्थान को लेकर भी राजनीति की जा रही है, जोकि बहुत दुख की बात है। श्री कैंथ ने बताया कि वे 2004 से श्रीलंका में इस ग्रुप का हिस्सा हैं तथा करीब 55 ऐसे स्थलों को ढूंढ चुके हैं, जिनका व्याख्यान श्रीरामायण जी में मिलता है। जैसे अशोक वाटिका, मंदोदरी पैलेस, विभीषण पैलेस तथा सुन्दर कांड एवं युद्ध कांड में वर्णीत कथाओं से संबंधित स्थल आज भी वहां मौजूद हैं।

इसके अलावा श्रीराम सेतु के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने बताया कि अशोक वाटिका से मिली मूर्तियों का जब कार्बन टैस्ट करवाया गया था तो वे करीब 3 हजार साल पुरानी पाई गई थी और इन्हें जापान एवं हैदराबाद की लैब में टैस्ट किया गया था। अशोक वाटिका में जो मंदिर बनाया गया है वहां पर सभी वर्गों एवं समुदायों के लोग माथा टेकने पहुंचते हैं तथा आज यहां पर बहुत बड़ी धर्मशाला भी बनाई गई है, जिसके लिए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज पाटिल द्वारा 10 करोड़ रुपये भेंट किए गए थे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार श्रीलंका की सरकार इन धार्मिक स्थलों को बचाने को प्रयासरत है उसी प्रकार भारत सरकार भी भगवान श्रीराम से जुड़े साक्ष्यों को बचाने एवं उनकी सार्थकता को पुन: स्थापित करने के लिए प्रयास करे। इस मौके पर प्रमोद शर्मा, तिलक राज गुप्ता, रविंदर दत्ता मेहता, पुनीत शर्मा, पंचम दत्त शर्मा आदि मौजूद थे।

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