-टोल कर्मी छुट्टे नहीं है का बहाना बनाकर लोगों से वसूलते रहे अधिक पैसे और 100-50 का देने का बनाते रहे दवाब- विरोध जताने वालों के साथ दादागिरी से भी नहीं किया जा रहा था परहेज-
By- Bhupesh Prajapati (Hoshiarpur)
भारत सरकार द्वारा 500-1000 के नोट बंद किए जाने के बाद जहां बैंकों से पैसे लेने व जमा करवाने को लेकर लोगों को 2-4 होना पड़ रहा है वहीं उनके लिए सफर करना भी किसी खाला जी के बाड़े कम नहीं। इतना ही नहीं देश हित में भारत सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से जहां आम जनता नए सिस्टम का हिस्सा बनने के लिए सिस्टम के साथ चलने को तैयार हो रहे हैं वहीं कुछ लोग ऐसे में भी लोगों का शोषण करने और पैसे बटोरने में लगे हैं। ऐसे लोगों में शूमार थे टोल प्लाजा और हिमाचल की एंट्री पर खड़े कर्मी। जो मालिकों की शह पर लोगों का आर्थिक शोषण करने और विरोध करने वाली जनता को दादागिरी दिखाने से भी नहीं चूक रहे थे।
आलम यह था कि पंजाब में टोल प्लाजाओं से जहां कई स्थानों पर टोल प्लाजा कर्मी लोगों को छुट्टा न होने के चलते फ्री जाने दे रहे थे वहीं कई स्थानों पर टोल प्लाजा कर्मियों ने मालिकों की शह पर जनता से जो मिला उसे वसूला और कईयों को तो बकाया तक भी वापस करना जरुरी नहीं समझा। हिमाचल की एंट्री पर तो किस्सा ही कुछ उल्टा निकला। एंट्री पर लोगों से टैक्स वसूलने वाली कर्मी बड़ी ही होशियारी से लोगों से 50-100 के नोट ले रहे थे और उन्हें कैबिन में छिपा कर रखा जा रहा था ताकि अगर कोई छुट्टा न होने के कारण 500 का नोट दे तो वे उसे हाथ में पकड़ी 200-300 की पर्चियां दिखाकर खुले पैसे देने का रौब दिखाते। इतना ही नहीं अगर कोई इसका विरोध करता तो वे आंखें दिखाने से भी परहेज नहीं कर रहे थे तथा लोगों को गाड़ी वापस मोडने की धमकी देने में अपनी शान समझ रहे थे। इन हालातों में समझ ही नहीं आ रहा था कि मोदी जी की घोषणा आम जनता के लिए राहत भरी है या परेशानियां भरी।
होशियारपुर से हिमाचल की तरफ गए दो पत्रकार जब गगरेट एंट्री पर पहुंचे तो उन्होंने एंट्री टैक्स वसूलने वाले कर्मियों व वहां चल रहे गौरखधंधे की सच्चाई जानने के लिए उसे 500 का नोट दिया। इस पर टोल प्लाजा कर्मी ने कहा कि खुले पैसे दो। इस पर पत्रकारों ने कहा कि भाई साहब खुले पैसे नहीं हैं तथा आपके पास हैं तो सही अत: आप टैक्स काटें व बकाया वापस करें। इस पर वहां मौजूद कर्मी ने रौब दिखाते हुए अकड़ कर बोला ऊधर एक तरफ खड़े हो जाओ जब खुले हो जाएंगे ले जाना अन्यथा खुले पैसे लाओ नहीं तो वापस जाओ। जबकि वहां मौजूद कर्मी द्वारा जो किया जा रहा था उसे भी किसी देशद्रोह से कम नहीं आंका जा सकता। वह कर्मी लोगों से 100 व 50 के नोट लेकर कैबिन के भीतर जमा कर रहा था और हाथ में 200-300 की 10-10, 20-20 की पर्चियां लेकर खड़ा था और वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों से खूब नोट बटोरने में लगा था। हालांकि अगर खुले पैसों की बहुत जरुरत रहती है परन्तु जिनके पास छोटा नोट नहीं था उनके समक्ष तो मानो जैसे किसी ने पहाड़ पार करने की शर्त रख दी हो। वहां मौजूद कर्मियों द्वारा की जा रही इस चालाकी के चलते लोगों को उनकी मनमर्जी का शिकार होना पड़ रहा था। परन्तु उन्हें ऐसा करने से रोकने वाला वहां पर कोई नहीं था। ऐसे में लोगों की भारत सरकार से अपील थी कि इस संकट की घड़ी में आम जनता का शोषण करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कदम उठाए जाएं ताकि कोई भी किसी तरह की बहानेबाजी बनाकर मुनाफाखोरी करने का साहस न कर सके।