जीवात्मा और परमात्मा के विशुद्ध प्रेम संबंध का नाम ही गोपी: कृष्ण शास्त्री

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: पुष्पिंदर। श्री नंद अन्नपूर्णा मंदिर चैरिटेबल सोसायटी द्वारा खानपुरी गेट एकता नगर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में श्री रुद्र चण्डी महायज्ञ के आठवें दिन आचार्य राजिंदर प्रसाद ने पूजन करवाया। उन्होंने कहा कि प्राय: लोगों का विचार है कि यज्ञ में डाले गए घृत आदि पदार्थ व्यर्थ चले जाते हैं। परंतु उनका यह विचार ठीक नहीं है। विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार कोई भी पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता, अपितु उसका रुप बदलता है।

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जैसे बर्फ का रुप पिघल कर जल रुप में बदलता है, जल का वाष्प रुप में बदलना है। रुप बदलने का अर्थ नष्ट होना नहीं, बल्कि अवस्था परिवर्तन है। बस यही सिद्धांत यज्ञ पर चरितार्थ होता है। यज्ञ में डाले गए पदार्थ सूक्ष्म होकर आकाश में पंहुच जाते हैं। यज्ञ में पौष्टिक, सुगंधित और रोगनाशक औषधियों की हवन सामग्री से दी गई आहुतियों से पर्यावरण की शुद्धि होती है। सभी पदार्थ सूक्ष्म होकर पृथ्वी, आकाश, अंतरिक्ष में जाकर अपना प्रभाव दिखाते है। इससे मनुष्य सहित जीव जंतु एवं वनस्पतियां सभी प्रभावित होते हैं। आज के यज्ञ के मुख्य यजमान लुधियाना से अनिल अग्रवाल व मन्नू अग्रवाल है।

ब्रह्मऋषि श्री नंद किशोर शास्त्री जी के आर्शीवाद से मंदिर प्रांगण में हो रही श्री मद्भागवत ज्ञान रस व दिव्य संगीतमयी कथा व्यास भागवत भूषण श्री अतुल कृष्ण शास्त्री जी (बरसाने वाले) ने श्रीमद् भागवत कथा का बखान करते कहा कि श्री वृंदावन का प्रेम रस श्री राधा गोबिंद कृपा पर आश्रित है। गोपी भाव अथवा सखी भाव से पुष्ट जीवन ही श्री वृंदावन धाम के प्रेम रस को प्राप्त कर सकता है।

गोपी भाव का अर्थ है कि साधक अपनी प्रत्येक इंद्रिय से केवल श्री कृष्ण प्रेम रस का पान करता हो। जीवात्मा और परमात्मा के विशुद्ध प्रेम संबंध का नाम ही गोपी भाव है, यहां स्त्री व पुरुष की कोई भी प्रधानता नहीं है। भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि के समय में वृंदावन यमुना के तीर बांसुरी वादन कर महारास लीला के माध्यम से समस्त बृजगोपियों को अनुग्रहति किया। कंस आदि राक्षसों का अंत करने के बाद भगवान श्री कृष्ण द्वारिका के सिंहासन पर विराजित हुए व अनेक दिव्य लीलाओं को संपादित करते हुए लक्ष्मी स्वरुप श्री रुकमणी जी से मंगल विवाह संपन्न हुआ।

इस दौरान सोसायटी प्रधान रमेश चंद्र अग्रवाल, महासचिव तरसेम मोदगिल, कोषाध्यक्ष सुभाष अग्रवाल, जतिन गुप्ता, जगदीश हरजाई, संजीव सराय, अनिल गुप्ता, राघव गुप्ता, विवेक गुप्ता, तरसेम मोदगिल, रमेश अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, दविंदर वालिया, रमेश गंभीर, शुभम सिंगला, निखिल सिंगला, अशोक कुमार, संजीव अरोड़ा, राजिंदर मोदगिल, राम कृष्ण देव, विकास सिंगला, बृज बिहारी, शुभम, नील मोदगिल सहित गणमान्य शामिल थे।

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